नई दिल्ली:अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ को मैकलारेन ग्लोबल स्पोर्ट्स सॉल्युशंस (एमजीएसएस) की मुक्केबाजी की स्वतंत्र जांच की पहले चरण की रिपोर्ट मिल गई है, जो पीटीआई के पास भी है. इसमें खुलासा किया गया है कि रियो में अधिकारियों द्वारा मुकाबलों में हेरफेर की प्रणाली मौजूद थी. कुल मिलाकर दो फाइनल सहित 14 मुकाबले जांच के दायरे में हैं.
रिपोर्ट में खेलों में अधिकारियों की संदेहास्पद नियुक्तियों के संदर्भ में किया गया, यह सेंटा क्लॉज के भ्रष्ट और शिष्ट के मिथक का पूरी तरह उलट है. भ्रष्ट लोगों को रियो में नियुक्ति दी गई, क्योंकि वे इच्छुक थे या दबाव में हेराफेरी के किसी आग्रह का समर्थन करने को तैयार थे. जबकि शिष्ट लोगों को बाहर कर दिया गया.
जांच में खुलासा हुआ है कि रियो के नतीजों को हेराफेरी का षड्यंत्र लंदन ओलंपिक 2012 से पहले भी रचा गया. साल 2016 टूर्नामेंट के क्वालीफाइंग टूर्नामेंटों के दौरान इसका ट्रायल किया गया.
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इसमें कहा गया, पैसे और एआईबीए से फायदे के लिए मुकाबलों में हेरफेर की गई या राष्ट्रीय महासंघों और उनकी ओलंपिक समितियों का आभार जताने के लिए और कुछ मौकों पर प्रतियोगिता के मेजबान की उसके वित्तीय समर्थन और राजनीतिक समर्थन के लिए.
इसमें कहा गया, आज तक की जांच में निष्कर्ष निकलता है कि इस तरह की हेराफेरी में कई मौकों पर छह अंक की मोटी धनराशि जुड़ी होती थी. हेराफेरी की प्रणाली भ्रष्ट रैफरी और जज तथा ड्रॉ आयोग से जुड़ी थी.
एआईबीए ने विस्तृत कार्रवाई और रैफरी तथा जजों की नियुक्ति के लिए कड़ी प्रक्रिया का वादा किया है.