नई दिल्ली :सबसे अच्छे और बुरे समय में क्या हो सकता है. यह ऐसे समझ सकते हैं कि चीन-पाकिस्तान की सीमाओं पर भारतीय सेना और उनके समकक्षों के बीच लैंडलाइन कनेक्शन पर फोन बजना कभी बंद नहीं होता है. एक तरह से यह संचार की पंक्ति को जीवित रखते हुए संवेदनशील सीमा के साथ सेनाओं के बीच आपसी समझ बनाए रखने के लिए जीवन रेखा है.
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि यह उच्च सामरिक स्तर व्यापक और रणनीतिक संबंधों को परिभाषित करता है. यह जमीन पर सैनिकों की सहमत शर्तों को लागू करने के लिए जरूरी है. इसलिए सबसे खराब होने के बावजूद संचार की ये रेखाएं हमेशा खुली रहती हैं. दरअसल, ये सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की जीवन रेखा है.
रोजाना होते हैं परीक्षण कॉल
भारतीय सेना और चीनी सेना के पास दौलत बेग ओल्डी (लद्दाख), चुशूल (लद्दाख), बम-ला (अरुणाचल प्रदेश), नाथू-ला (सिक्किम) और किबिथु (अरुणाचल प्रदेश) में सीमा के साथ लगे पांच निर्दिष्ट बिंदु हैं. इन सीमा रेखाओं में से प्रत्येक के पास फोन लाइनें हैं, जो सीमा पार स्थित चीनी पोस्टों से तत्काल जुड़ जाती हैं. जबकि दोनों सेनाओं के स्थानीय कमांडर इन पांच निर्दिष्ट बिंदुओं पर एक वर्ष में कई बार मिलते हैं. हर दिन सीमा पर तैनात सैनिकों के बीच परीक्षण कॉल किए जाते हैं.
तनाव में भी बंद नहीं होते फोन
उदाहरण के लिए चीन के साथ अरुणाचल प्रदेश से लगी सीमा पर प्रतिदिन सुबह 4:30 बजे समर्पित लैंडलाइन से फोन पर आदान-प्रदान किया जाता है. ये कॉल सुनिश्चित करते हैं कि सब ठीक है और अनुमानित रूप से इसे ऑल ओके कॉल कहा जाता है. यहां तक कि पूर्वी लद्दाख और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हाल ही में जारी गतिरोध के दौरान 15 जून, 2020 की गलवान घटना के बावजूद यह 'ठीक है' कॉल कभी नहीं रुकी.