हरिद्वार:जितेंद्र नारायण त्यागी ऊर्फ वसीम रिजवी और स्वामी यति नरसिंहानंद ये वो दो नाम हैं, जो बीते डेढ़ सालों से लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं. स्वामी यति नरसिंहानंद अपने बयानों को सुर्खियां बटोरी तो जितेंद्र नारायण त्यागी मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से चर्चाओं में आये थे. उन्होंने स्वामी यति नरसिंहानंद के साथ डासना मंदिर में हिंदू धर्म अपनाया था. तब से ही ये दोनों अक्सर एक दूसरे के साथ देखें जाते रहे हैं. मगर अब हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले के बाद इन दोनों की दोस्ती में दरार आती दिख रही है. ऐसा यूं ही नहीं कहा जा रहा है. बीते दिनों कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए जिसके बाद से ये दोनों अलग-अलग हैं.
रिहाई पर जितेंद्र नारायण त्यागी को लेने नहीं पहुंचे: बीते दिनों जब जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी हेट स्पीच मामले में जमानत पर जेल से रिहा हुए, तब कोई भी संत उन्हें लेने नहीं पहुंचा था. उम्मीद जताई जा रही थी स्वामी यति नरसिंहानंद जितेंद्र नारायण त्यागी की रिहाई के बाद उनका स्वागत करने पहुंचेंगे. स्वामी यति नरसिंहानंद, जितेंद्र नारायण त्यागी की गिरफ्तारी का शुरू से ही विरोध कर रहे थे. मगर जब वे रिहा हुए तो वे उन्हें मिलने तक नहीं आए. इतना ही नहीं जेल से निकलने के बाद जितेंद्र नारायण त्यागी का अंदाज भी बदला-बदला दिखा. जिससे अंदाजा लगा कि अब शायद जितेंद्र नारायण त्यागी और स्वामी यती नरसिंहानंद की राहें अलग-अलग हो गई हैं.
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जल्द संन्यास लेंगे जितेंद्र नारायण त्यागी: अब सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खबर है कि जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी जल्द ही हरिद्वार में संन्यास की दीक्षा लेने वाले हैं. जिसके बाद वे संत बनेंगे. जिसकी लगभग सभी तैयारियां हो गई है. इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि कभी जिगरी रहे इन दोनों दोस्तों के बीच अब दरार आ गई है.
धर्म संसद हेट स्पीट मामले में गिरफ्तारी:बता दें कि धर्मनगरी हरिद्वार में हुई धर्म संसद हेट स्पीट मामले में सबसे पहले हरिद्वार पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 13 जनवरी को जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को गिरफ्तार किया. इन दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि जितेंद्र नारायण त्यागी के बिना यति नरसिंहानंद भी एक दिन से ज्यादा नहीं रह पाए. 15 जनवरी को हरिद्वार पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जिसके बाद लगभग दोनों एक महीना हरिद्वार जिला कारागार में साथ में रहे.
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रिहाई के बाद शांत हुए यति नरसिंहानंद:इसके बाद यति नरसिंहानंद गिरि जमानत मिलने के बाद 17 फरवरी को जेल से रिहा हुए. जमानत मिलने के तुरंत बाद यति नरसिंहानंद गिरि हरिद्वार के सर्वानंद घाट पर अनशन पर बैठ गए थे. यति नरसिंहानंद गिरि ने कहा था कि जब तक जितेंद्र नारायण उर्फ वसीम रिजवी जेल से रिहा नहीं होते तब तक वे यहीं बैठे रहेंगे, लेकिन यह अनशन सिर्फ 2 दिन तक ही चला. जिसके बाद उन्होंने पदयात्रा कर कर दिल्ली रवाना होने का फैसला लिया. दिल्ली जाकर यति नरसिंहानंद बिल्कुल शांत हो गए. वे कानूनी प्रक्रिया पर विश्वास जताते हुए न्यायालय के फैसले का इंतजार करने लगे. शायद यहीं से इन दोनों की दोस्ती में अलगाव का मोड़ आया.