नई दिल्ली : दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से 125 लोग जितना निवेश करते हैं, उससे एक साल में औसतन 30 लाख टन कार्बन डाईऑक्साइड पैदा होता है जो निचले तबके की 90 प्रतिशत आबादी के औसत से 10 लाख गुना अधिक है. गैर लाभकारी समूह ऑक्सफैम द्वारा जारी एक नयी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. 'कार्बन बिलियनेरीज: द इन्वेस्टमेंट एमिशन ऑफ द वर्ल्ड्स रिचेस्ट पीपुल' शीर्षक से प्रकाशत रिपोर्ट में कहा गया है कि इन अत्यंत अमीर लोगों की 183 कंपनियों में कुल 2.4 ट्रिलियन हिस्सेदारी है. जीवाश्म ईंधन और सीमेंट जैसे प्रदूषणकारी उद्योगों में उनका निवेश 500 कंपनियों के मानक एवं छोटे समूह के औसत का दोगुना है.
कुल मिलाकर ये 125 अरबपति हर साल 39.3 करोड़ टन सीओ2ई (कार्बन डाईऑक्साइड के समान) के लिए निवेश करते हैं जो 6.7 करोड़ की आबादी वाले देश फ्रांस के वार्षिक कार्बन उत्सर्जन के बराबर है. रिपोर्ट के अनुसार, इतने सीओ2ई के उत्सर्जन के लिए प्रत्येक अरबपति को एक निजी जेट से 1.6 करोड़ बार दुनिया का चक्कर लगाना होगा. वहीं 18 लाख गाएं अगर समान स्तर पर सीओ2ई का उत्सर्जन करें तो यह 125 अरबपतियों के ऊर्जा खर्च के बराबर होगा. प्रत्येक अरबपति के उत्सर्जन की भरपाई के लिए करीब 40 लाख लोगों को शाकाहारी बनना होगा.
ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा, "समग्र उत्सर्जन के लिए अमीर लोगों की प्रमुख और बढ़ती जिम्मेदारी पर जलवायु नीति निर्माण में शायद ही कभी चर्चा की जाती है या उन पर विचार किया जाता है. इसे बदलना होगा. कॉरपोरेट पिरामिड के शीर्ष पर स्थित इन अरबपति निवेशकों के पास जलवायु के परिवर्तन की बड़ी जिम्मेदारी है. वे बहुत लंबे समय तक जवाबदेही से बचते रहे हैं.