रीवा। यहां की माटी में जन्म लेने वाले कई वीरों ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए हैं, और इन्हीं वीरों में शामिल हैं मध्य प्रदेश के रीवा के गांव फरेदा के लांस नायक शहीद दीपक सिंह. पति की शहादत को सम्मान देते हुए उनकी पत्नी रेखा सिंह भी भारतीय सेना में शामिल हो गईं हैं. वीर चक्र से सम्मानित शहीद दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह ने अपने पति का सपना पूरा करते हुए सेना में लेफ्टिनेंट बनी हैं. मेडिकल फॉर्मेलिटीज पूरी होने के बाद चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में उनकी ट्रेनिंग होगी.
रीवा शहीद की पत्नी बनी लेफ्टिनेंट पति के सपने को सहेजा:शादी से पहले रेखा सिंह जवाहर नवोदय विद्यालय सिरमौर में शिक्षिका थीं .उच्च शिक्षित रेखा के मन में शिक्षक बनकर समाज की सेवा करने के सपने थे, लेकिन शादी के बाद उनके पति दीपक सिंह ने उन्हें सेना में अधिकारी बनने के लिए प्रेरित किया. रेखा ने अपने पति के शहीद होने के बाद उनके सपने को पूरा करने का संकल्प लिया जिसे पूरा करने में उनके ससुरालवालों ने भी पूरा सहयोग किया. रेखा सिंह को उनके पति के शहीद होने के बाद मध्य प्रदेश शासन की तरफ से शिक्षाकर्मी वर्ग दो में नियुक्ति भी दी गई. वे पूरी जिम्मेदारी से अपना शिक्षकीय दायित्व भी निभा रहीं थी, लेकिन उनके मन में सेना में जाने की इच्छा लगातार बनी रही. रेखा सिंह ने जिला सैनिक कल्याण कार्यालय से इस संबंध में चर्चा की. रेखा को रीवा जिला प्रशासन और जिला सैनिक कल्याण कार्यालय ने सेना में चयन के संबंध में उचित मार्गदर्शन और सहयोग दिया.
शहीद की पत्नी रेखा सिंह का बयान:
पति की शहादत का गम और देशभक्ति का जज्बा ही था कि मैंने टीचर की नौकरी छोड़कर सेना में अफसर बनाने का मन बना लिया. लेकिन यह आसान नहीं था. इसके लिए नोएडा जाकर सेना में भर्ती होने के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारियां कीं, और ट्रेनिंग हासिल की. फिजिकल ट्रेनिंग भी ली. बावजूद इसके प्रथम प्रयास में सफलता नहीं मिली. लेकिन वह हताश नहीं हुई और दूसरे प्रयास में उनका चयन भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर हो गया. 28 मई से वे चेन्नई में प्रशिक्षण लेंगी, जिसके बाद वह सेना में अपनी सेवाएं देंगी.उन्होंने आगे कहा अपने पति का सपना पूरा करने और बहनों को सही राह दिखाने सेना में आई हूं.
गलवान घाटी में शहीद हुए थे दीपक:शहीद दीपक सिंह का जन्म 15 जुलाई 1989 को रीवा के फरेदा गांव में हुआ था. दीपक 2012 में भारतीय सेना की बिहार रेजिमेंट में बतौर नर्सिंग असिस्टेंट चिकित्सा कोर में भर्ती हुए थे.दीपक ने भारतीय सेना के जांबाज सैनिक के रूप में 15 जून 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सेना से लोहा लेते हुए देश के लिए अपने प्राणों की आहूति दी थी. दीपक सिंह ने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के द्वारा धोखे से किए गए हमले का जोरदार मुकाबला किया. उन्होंने चीनी सैनिकों के साथ कड़ा मुकाबला करते हुए अपने साथियों के साथ चीनी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर किया, लेकिन इस संघर्ष में दीपक सिंह मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो गए. हिंसक झड़प के दौरान उन्हें भी काफी चोटें आई थीं, फिर भी उन्होंने 30 सैनिकों की जान बचाई थी.
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शादी के 15 महीने बाद ही शहीद हो गए थे दीपक सिंह:उनकी शहादत की खबर रीवा पहुंचने पर उनके परिवार के सदस्यों के साथ पत्नी रेखा पर जैसे वज्रपात हो गया. विवाह के सिर्फ 15 माह के बाद रेखा ने अपने पति को खो दिया था. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे, और शहीद के परिजन को एक करोड़ रुपए की सहायता राशि प्रदान की थी. आज सेना में लेफ्टिनेंट चुने जाने के बाद शहीद दीपक सिंह के बाद उनकी पत्नी रेखा सिंह ने भी रीवा को वहीं गौरव प्रदान किया है.