मुजफ्फरनगरः जिले के मोहल्ला दक्षिणी कृष्णापुरी की क्रांतिकारी शालू सैनी (बबिता सैनी) कोरोना काल से अब तक लगभग 500 शवों का दाह संस्कार कर चुकी हैं. अपने इस काम को लेकर वह काफी सुर्खियों में आईं. गौरतलब है कि कोरोना काल में जब परिजन, रिश्तेदार और पड़ोसी साथ छोड़ रहे थे उस वक्त शालू ने वह कर दिखाया, जिससे वह समाज की नजरों में छा गईं. वह मृतकों के शवों का दाह संस्कार करके उनकी अस्थियों को हरिद्वार शुक्रताल की गंगा में विसर्जन करतीं हैं. शालू सैनी की मानें तो कोरोना काल में करीब 200 लावारिस लाशों को कंधा देकर उनका अंतिम संस्कार किया.
कौन हैं क्रांतिकारी शालू सैनी ?
क्रांतिकारी शालू सैनी मुजफ्फरनगर के मोहल्ला दक्षिणी कृष्णापुरी के एक साधारण परिवार की रहने वाली हैं. उनके दो बच्चे हैं और घर पर ही ठाकुर जी (कृष्ण जी) भगवान की ड्रेस बनाकर बेचने व महिलाओं को भगवान की ड्रेस बनाने का कार्य सिखाती हैं. क्रांतिकारी शालू सैनी साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट नाम की संस्था भी चलाती हैं और वह उसकी राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. शालू सैनी अपनी संस्था के द्वारा सामाजिक कार्यों के अलावा शवों के दाह संस्कार का खर्च इसी से करती हैं. शालू सैनी का कहना है कि वह अभी तक लगभग 500 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार पूरे विधि-विधान से कर चुकी हैं व उनकी अस्थियों का विसर्जन शुक्रताल में करती हैं. इसी के चलते क्रांतिकारी शालू सैनी के सामाजिक कार्य के लिए उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है.