नई दिल्ली : मध्य प्रदेश कांग्रेस की एक नेता ने ईडब्ल्यूएस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की है. इसमें उन्होंने ईडब्ल्यूएस मुद्दों पर केंद्र के फैसले को बरकरार रखने के फैसले की खिलाफत की है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को मिलने वाले ईडब्ल्यूएस कोटे पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया था. पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम की वैधता को बरकरार रखा है, जो शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रदान करता है.
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस जेबी पारदीवाला ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सहमति जताई है. तीनों जजों का मानना है कि यह आरक्षण संविधान का उल्लंघन नहीं करता है. तीनों जजों ने यह भी माना कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन नहीं करता है। वहीं सीजेआई जस्टिस यूयू ललित व जस्टिस रवींद्र भट ने इस पर असहमति जाहिर की थी.