नई दिल्ली:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा करते हुए इस बड़े फैसले के परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को हुए नुकसान पर भी प्रकाश डाला. चालू वित्त वर्ष में सरकार को एक लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है. केंद्र सरकार के मामले में पेट्रोलियम क्षेत्र से उत्पाद शुल्क आय केंद्र सरकार के उत्पाद शुल्क संग्रह का बड़ा हिस्सा है.
उदाहरण के लिए केंद्र ने वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम क्षेत्र से उत्पाद शुल्क के रूप में 3.74 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए. और पिछले वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 2021-22) के पहले नौ महीनों के लिए सरकार द्वारा साझा किए गए प्रोविजनल डाटा के अनुसार उत्पाद शुल्क संग्रह 2.63 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. हालांकि, इस वर्ष के बजट में प्रस्तुत संशोधित अनुमानों के अनुसार पिछले वर्ष में केंद्र के उत्पाद शुल्क संग्रह का अनुमान 3.94 लाख करोड़ रुपये था.
हालांकि, नवंबर 2021 में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती के बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने उत्पाद शुल्क संग्रह में 59,000 करोड़ रुपये की कमी की उम्मीद की थी. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए उत्पाद शुल्क संग्रह का संशोधित अनुमान जहां 3.94 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है, वहीं चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान में उत्पाद शुल्क संग्रह 3.35 लाख करोड़ रुपये है. अगर सीतारमण का बजट अनुमान सही निकला तो उत्पाद शुल्क संग्रह बजट अनुमान 3.35 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2.35 लाख करोड़ रुपये रह जाएगा, जो ऐसे समय में राजस्व संग्रह में एक महत्वपूर्ण सेंध है जब सरकार अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रही है.
राज्य भी होंगे प्रभावित:पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये की कटौती के केंद्र के फैसले से न केवल केंद्र के राजस्व संग्रह पर असर पड़ेगा बल्कि इसका असर राज्यों पर भी दो तरह से पड़ेगा. पहला, केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी उसी अनुपात में घटेगी. वित्त आयोग के फार्मूले के अनुसार राज्यों को 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित हस्तांतरण सूत्र के अनुसार केंद्रीय करों के विभाज्य पूल से 41% हिस्सा प्राप्त होता है.