हरिद्वार: पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज खलीलुर्रहमान रमदे ने संस्कृत गीता के अनुवादित उर्दू काव्य दिल की गीता के हिंदी संस्करण का विमोचन किया. रमदे ने कहा धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं. धर्म का इस्तेमाल इकट्ठा करने के लिए करें ना कि बिखराव के लिए. सभी धर्म बुराई से लड़ने को प्रेरित करता है. धर्मों के बंधन लोगों ने बनाए हैं. सभी धर्मों का सार एक ही है.
कनखल स्थित श्री हरे राम आश्रम के स्वर्ण जयंती महोत्सव में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज खलीलुर्रहमान रमदे पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा पाकिस्तान, अंग्रेज, भारतीय और जापानी सहित सबके लिए यह पैगाम है कि अपने-अपने धर्म को देखिए. आपको हर धर्म में एक ही पैगाम नजर आएंगे कि अच्छे इंसान बनो. आपस में प्यार मोहब्बत से रहो. जो गलत काम है, उसके खिलाफ सब जद्दोजहद करो. जो सही काम है, उस पर सब इकट्ठे हो जाओ.
उर्दू काव्य 'दिल की गीता' के हिंदी संस्करण का किया विमोचन. कुरान और गीता की शिक्षा पर पूर्व न्यायाधीश ने कहा सभी धर्मों के धर्म ग्रंथ एक जैसी शिक्षाएं देते हैं. कोई भी धर्म नफरत फैलाने और जुल्म करने का पैगाम नहीं देता है. इसलिए सभी धर्मों का आदर करना चाहिए. इस अवसर पर उन्होंने पाकिस्तानी शिक्षाविद् ख्वाजा दिल मोहम्मद की संस्कृत गीता के अनुवादित उर्दू काव्य 'दिल की गीता' के हिंदी संस्करण का विमोचन किया.
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ख्वाजा दिल मोहम्मद विभाजन से पूर्व लाहौर स्थित डीएवी कॉलेज के रजिस्ट्रार रहे हैं. उन्होंने ही आजादी से पूर्व श्रीमद् भगवत गीता का संस्कृत से उर्दू काव्य के रूप में अनुवाद किया था. जिसका नाम उन्होंने 'दिल की गीता' रखा था. उन्होंने कहा श्रीमद् भगवत गीता का संदेश ख्वाजा दिल मोहम्मद के दिल को लगा होगा. वरना कोई वजह नहीं थी कि एक मुसलमान गीता को सीखे.
इसके लिए उन्होंने पहले संस्कृत सीखा और इसके बाद उसका उर्दू में अनुवाद किया. फिर उसको उर्दू शायरी में उसके पिरोए. भारत में पिछले कई दिनों से बिगड़े सांप्रदायिक सवाल पर उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें यह नहीं पता चलता कि यह बात किस लिए कहीं गई है, उस पर वह कुछ नहीं कह सकते. दिल की गीता का हरिद्वार गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से रिटायर्ड जनसंपर्क अधिकारी प्रदीप कुमार जोशी और पाकिस्तान मूल के लक्ष्मण शर्मा ने हिंदी में अनुवाद किया है. दिल की गीता, संस्कृत, उर्दू व हिंदी भाषाओं में हैं.
बता दें कि पूर्व पाकिस्तानी न्यायाधीश ने शहीदे आजम भगत सिंह की फांसी के मुकदमे का ट्रायल भारत को दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई थी. यह ट्रायल गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के म्यूजियम में रखा हुआ है. संत महंतों ने इसके लिए उनका आभार जताया. इस मौके पर रामकथा के आयोजकों ने उनको प्रशस्ति पत्र देकर भी सम्मानित किया.