बेंगलुरु : एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) से शिकायत की है (IAS officer complaints to BBMP) कि दो गोनी के पेड़ पल्मोनरी एलर्जी पैदा कर रहा है (tree is causing pulmonary allergy). उन्होंने उस पेड़ को हटाने के लिए कहा है. पता चला है कि बीबीएमपी ने पेड़ काटने की भी अनुमति दे दी है.
शहर के ज्यादातर लोग उद्यान शहर के वातावरण का आनंद लेते हैं जहां कई पेड़ हैं लेकिन, अब आईएएस अधिकारी ने बीबीएमपी वन इकाई में शिकायत दर्ज कराई है कि पेड़ों की वजह से समस्या है, जिससे सभी नाराज हो गए हैं.
शिकायत में पेड़ से एलर्जी, फेफड़ों की समस्या का जिक्र : विशेषज्ञों का मानना है कि जितने ज्यादा पेड़ होंगे, ऑक्सीजन का स्तर उतना ही ज्यादा होगा. लेकिन शहर में बीटीएम लेआउट की आईएएस कॉलोनी के सेवानिवृत्त अधिकारी सुधीर कुमार ने शिकायत में कहा कि उनके घर के सामने सड़क पर दो गोनी के पेड़ हैं. जिनसे उन्हें परेशानी हो रही है. पेड़ों पर पक्षी और चमगादड़ रहते हैं जो गंदगी करते हैं.
डॉक्टर का कहना है कि उनके मरीज को पेड़ में मधुमक्खियां होने के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं, त्वचा रोग और फेफड़ों की समस्याएं थीं. इसी वजह से उन्होंने बीबीएमपी को लिखा है कि पेड़ों को काटा जाए.
निगम ने काटी टहनियां:रिटायरआईएएस अधिकारी के पत्र में लिखी समस्या को देखकर बीबीएमपी के कर्मियों ने मौके पर आकर पेड़ की शाखाओं को काट दिया. हालांकि, स्थानीय लोगों को पेड़ों की कटाई पसंद नहीं है. उन्होंने अधिकारियों के खिलाफ रोष व्यक्त किया कि किसी भी कारण से पेड़ों को नहीं काटा जाना चाहिए. उनका कहना है कि यदि ऐसा ही चलता रहा, तो निकट भविष्य में बेंगलुरु की क्या स्थिति होगी? पक्षियां और जानवरों कहां जाएंगे? कुछ स्थानीय लोगों ने राय व्यक्त की है कि पेड़ों को काटने से समस्या होगी.
60 दिन में दोबारा लगाएं : गली के पेड़ को काटने के बाद 60 दिन के भीतर पेड़ दोबारा लगाने का आदेश जारी किया गया है. गोनी वृक्ष की बहुत विशेषता होती है. यह सबसे अधिक ऑक्सीजन छोड़ने वाले पेड़ों में से एक है. कुछ लोग इस पेड़ की पूजा भी करते हैं. इसका वैज्ञानिक नाम Ficus dropacea है. डॉक्टरों के मुताबिक खसरा (measles) होने पर इसका दूध पीना बच्चों के लिए अच्छा होता है.
पक्षियों का पसंदीदा पेड़:यह पक्षियों का पसंदीदा पेड़ है, जो इसके बीजों को खाते हैं. वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1971 के अनुसार पेड़ों को काटने से पहले स्थानीय लोगों की सहमति ली जानी चाहिए. स्थानीय लोगों को पेड़ काटने पर आपत्ति होती है तो पेड़ न काटने को कहा जाता है. बीबीएमपी के अधिकारियों ने स्थानीय लोगों को खराब पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी है, लेकिन इस पेड़ को काटने की अनुमति दे दी है. स्थानीय लोगों में इससे आक्रोश है, उनका कहना है कि जिन पक्षियों का इन पर घोसला है, वह कहां जाएं.
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