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वायुसेना के रिटायर्ड सार्जेंट का आरोप, उनकी वीरता के लिए दूसरे को दिया गया सम्मान

वायुसेना के रिटायर्ड सार्जेंट घनश्याम सिंह का आरोप है कि उनकी वीरता का सम्मान दूसरे अफसर को दे दिया गया. उन्होंने दावा किया है कि आगरा एयरबेस पर हादसे में पायलट को बचाने के लिए इस बार जो सम्मान लेफ्टिनेंट डी. रविंद्र राव को दिया गया, उसके असली हकदार वे हैं. उन्होंने इससे संबंधित कई दस्तावेज सोशल मीडिया पर वायरल किए हैं.

वायुसेना के रिटायर्ड सारजेंट का आरोप
वायुसेना के रिटायर्ड सारजेंट का आरोप

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Published : Aug 22, 2022, 8:35 PM IST

जोधपुर.आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर इस बार राष्ट्रपति की ओर से वायुसेना के आठ अफसरों को गैलेंट्री अवार्ड से सम्मानित किया गया. इनमें से एक हैं अम्बाला में तैनात लेफ्टिनेंट डी. रविंद्र राव, जिन्हें 6 नवंबर 2021 को आगरा एयरबेस हादसे में पायलट की जान बचाने के लिए वायु सेना पदक (वीरता पदक) से पुरस्कृत किया गया है. लेकिन उस दिन हादसे के समय आगरा एयरबेस पर तैनात जोधपुर के सार्जेंट घनश्याम सिंह (Retired Air Force Sergeant Ghanshyam Singh) ने इस पर आपत्ति जताई है.

सार्जेंट घनश्याम सिंह का कहना है कि जो काम उन्होंने किया उसका सम्मान किसी और को क्यों? उनका आरोप है कि (retired air force sergeant allegation) राष्ट्रपति की ओर से लेफ्टिनेंट डी रविंद्र राव को गैलेंट्री अवार्ड से सम्मानित किया गया तो उन्हें काफी धक्का लगा. सार्जेंट घनश्याम का कहना है कि हालांकि उन्हें पहले से पता था कि यह अवार्ड उन्हें नहीं मिलेगा, लेकिन फिर भी जो काम उन्होंने किया उसका श्रेय दूसरे को क्यों दिया गया. इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर कई दस्तावेज वायरल किए हैं.

वायुसेना के रिटायर्ड सारजेंट का आरोप

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सार्जेंट घनश्याम सिंह का दावा है कि घटना वाले दिन के दस्तावेज में उनकी वीरता का उल्लेख किया गया है जो अब लेफ्टिनेंट रविंद्र राव के नाम दर्ज कर दिया गया है. इतना ही नहीं, घनश्याम सिंह ने यह भी दावा किया है कि इस काम के लिए अधिकारियों ने उनके नाम की अनुशंसा करने के लिए जो तैयारी की थी, उन्होंने उससे संबंधित दस्तावेज सोशल मीडिया पर वायरल किए हैं.

इस मामले में सार्जेंट घनश्याम सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए विस्तार से जानकारी दी. पिछले पांच दिनों से सोशल मीडिया के जरिए चर्चा में आने के बाद कई सेवानिवृत्त सैनिक घनश्याम सिंह के समर्थन में आ गए हैं. हालांकि वायुसेना की ओर से अभी भी इसको लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. सार्जेंट घनश्याम सिंह का कहना है कि वह इस मामले की पूरी जानकारी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री को भी भेजेंगे.

वायरल पत्र

अधिकारियों ने गैलेंट्री के लिए सिफारिश के लिए बुलाया
घनश्याम सिंह का दावा है कि गत वर्ष 6 नवंबर की घटना के बाद आगरा बेस के सभी अधिकारियों ने उनकी तारीफ की. इसके लिए स्थानीय स्तर पर पूरी टीम को सम्मानित भी किया गया. अफसरों ने फोन कर उन्हें बुलाया कि गैलेंट्री के लिए उनका नाम भेजा जाएगा. घनश्याम सिंह के मुताबिक अधिकारियों ने खुद उनसे ही घटना का पूरा वृत्तांत यानी साइटेशन तैयार करवाया. इसके अलावा घटना के दिन के दस्तावेज और वीडियो भी देखे गए. इस वर्ष 30 जून को घनश्याम सिंह ने सेवानिवृत्ति ले ली, लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर पता चला कि जो वृत्तांत उन्होंने तैयार किया था खुद के लिए उस पर लेफ्टिनेंट डी रविंद्र राव को पदक दे दिया गया है तो उन्हें काफी धक्का लगा.

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यह था घटनाक्रम
6 नवंबर 2021 को दोपहर करीब साढे़ बारह बजे आगरा बेस पर जगुआर विमान लैंड हो रहे थे. दो विमान सुरक्षित उतर चुके थे जबकि तीसरा रन-वे पर उतरते ही पलट गया और उसमें आग लग गई. उस समय घनश्याम सिंह आगरा बेस पर सुबह की शिफ्ट में रेस्क्यू-1 में क्रैश फायर टेंडर पर तैनात थे. हादसा देखते ही उन्होंने एटीसी से परमिशन लेकर रनवे पर प्रवेश किया. उनकी गाड़ियां 120 किमी की स्पीड से दौड़ रही थीं. वह तुरंत प्लेन के पास पहुंचे और फोम डालना शुरू किया. घनश्याम सिंह के मुताबिक पहले उन्हें लगा कि पायलट बाहर निकल गया है, लेकिन तभी कॉकपिट में कुछ हलचल दिखी तो उन्होंने फोम स्प्रे रुकवाया और नजदीक गए तो पायलट उलटा लटके हुए थे. घायल अवस्था में पायलट इजेक्शन सीट से बंधे हुए थे. घनश्याम सिंह ने बताया कि वह रेंगकर पायलट के पास पहुंचे और उन्हें भरोसा दिलाया. इतने में पायलट ने बताया कि कहा कि कुछ गर्म पदार्थ उनपर गिर रहा है. इसपर उन्होंने गर्म पानी का छिड़काव रुकवाया और पायलट को बाहर निकालने के लिए प्रयास शुरू किए.

वायरल पत्र

लेफ्टिनेंट राव आए लेकिन वापस चले गए
घनश्याम सिंह की माने तो उन्होंने पायलट को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए उनको सीट से फ्री करने का काम लगभग पूरा कर लिया था. एक हिस्सा ही बचा था, जो पायलट को खींचते ही खुद अलग हो जाता. इस दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी रविंद्र राव भी आ गए. उसी वक्त कुछ और फ्यूल जैसा पदार्थ आने लगा तो रविंद्र भी ब्लास्ट होने के खतरे को देखते हुए बाहर चले गए. घनश्याम सिंह के मुताबिक पायलट का एक पैर फंसा हुआ था. सभी लोग दूर जा चुके थे. घनश्याम सिंह के मुताबिक उन्होंने तय कर लिया था कि पायलट को कैसे भी सुरक्षित बाहर निकालेंगे. अंदर गैस भरने लगी, जिससे बेहोशी सी छाने लगी, लेकिन फिर भी हिम्मत रखी और पायलट को बाहर निकाल लिया. कुछ देर खुद भी अचेत रहे फिर उठे और पायलट को एंबुलेंस से अस्पताल भेजा, लेकिन यह सभी घटनाक्रम लेफ्टिनेंट डी रविंद्र राव के सम्मान के साथ उनके नाम से वर्णित किया गया है.

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