मुंबई : बैंकों के लिए लंबे समय से फायदेमंद माने जाते रहे खुदरा ऋण पूरी प्रणाली के लिए ही जोखिम से भरपूर हो सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह कहा. हालांकि केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि पूरी प्रणाली के लिए यदि कोई जोखिम उत्पन्न होता भी है तो वह अपनी नीतियों के जरिए उससे निपटने में पूरी तरह सक्षम है. आरबीआई ने 2021-22 के लिए 'भारत में बैंकिंग रुझान और प्रगति' के बारे में कहा कि अनुभव के आधार पर मिले साक्ष्य बताते हैं कि बड़ी संख्या में खुदरा ऋण व्यक्ति विशेष या समूह विशेष को दिए जाते हैं तो इससे पूरी व्यवस्था के लिए जोखिम पैदा होता है.
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यहां बता दें कि खुदरा उधार वित्तीय क्षेत्र में व्यापक रूप से स्थापित व्यवसाय है और ऋण देने वाली संस्था के लिए महत्वपूर्ण मात्रा में लाभ अर्जित करता है. लोकप्रिय खुदरा उधार उत्पादों में व्यक्तिगत ऋण, क्रेडिट खातों की लाइन, क्रेडिट कार्ड, होम इक्विटी लाइन ऑफ क्रेडिट और बंधक शामिल हैं. आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया कि हाल के वर्षों में भारतीय बैंक एक-एक करके औद्योगिकी क्षेत्र से खुदरा ऋण का रुख कर रहे हैं और यह रुझान बैंकों के सभी समूहों में नजर आ रहा है चाहे वे बैंक राज्य के स्वामित्व वाले हों, निजी हों या फिर विदेशी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पूरी प्रणाली के लिए जोखिम बढ़ता है.
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कुछ दिनों पहले भी एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि जिस तरह पिछले वर्ष के कम आधार के कारण ऋण वृद्धि बहुत अधिक दिखती है, उसी तरह पिछले वर्षों के आधार प्रभाव की वजह से जमा वृद्धि भी काफी कम नजर आ रही है. आरबीआई द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार 2 दिसंबर तक बैंकों की ऋण वृद्धि 17.5 फीसदी रही जबकि इस दौरान जमा में 9.9 फीसदी का इजाफा हुआ. एक साल पहले इस अवधि में ऋण वृद्धि 7.3 फीसदी और जमा वृद्धि 9.4 फीसदी थी.
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दास ने कहा था कि बीते एक साल में कुल ऋण वृद्धि 19 लाख करोड़ रुपये रही जबकि जमा वृद्धि 17.4 लाख करोड़ रुपये रही. उन्होंने कहा कि इसलिए इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए मेरा मानना है कि मौजूदा समय में ऋण वृद्धि को बेहतर कहा जा सकता है लेकिन उत्साहजनक स्तर से यह अभी काफी दूर है. दास के अनुसार वृद्धि के आंकड़े पिछले दो वर्षों में टाली गई ऋण की मांग अब बढ़ने तथा अर्थव्यवस्था के अंतर्निहित बुनियादी सिद्धांतों को दर्शाते हैं. उन्होंने कहा कि ताजा ऋण की भारित औसत उधारी दर करीब 117 आधार अंक बढ़ी है जबकि औसत जमा दर में 150 आधार अंक की बढ़ोतरी हुई है.