देहरादून : उत्तराखंड के जंगल तेजी से जल रहे हैं. वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 8 अप्रैल को प्रदेश में आग लगने के लिए 100 नई घटनाएं सामने आई हैं. जिसमें 106 हेक्टेयर जंगल आग की वजह से धधक रहे हैं. एक अप्रैल से 8 अप्रैल तक प्रदेश में जंगलों में आग की 657 घटनाएं सामने आई हैं. जिनमें कुल 920 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं. आग की वजह से जंगलों को बड़े पैमाने पर नुकसान भी हुआ है.
जंगलों में आग लगने की वजह से गर्मी पैदा होती है उसकी वजह से जीव-जंतुओं के निवास स्थान बर्बाद हो जाते हैं. मिट्टी की गुणवत्ता खत्म हो जाती है. उनके जैविक मिश्रण में बदलाव आ जाता है. उत्तराखंड में वनों की आग को लेकर आ रहे आंकड़े न केवल वन संपदा के नष्ट होने की तरफ ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. बल्कि, वन्यजीवों क्षति और वनस्पति नुकसान को लेकर लोगों की चिंताएं बढ़ाए हुए है. उत्तराखंड वन विभाग जंगलों की आग से हुए वनस्पति नुकसान को लेकर विस्तृत अध्ययन की तैयारी में है. जिसके जरिए वनस्पति को हुए नुकसान की पूरी जानकारी लगाई जा सकेगी.
अब तक नुकसान का आंकलन नहीं
अभी तक भारत में जंगलों में लगी आग से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को लेकर कोई सटीक अध्ययन की व्यवस्था नहीं है. लेकिन फिर भी विभागीय स्तर पर एक फॉर्मूले के तहत इससे होने वाले विभिन्न नुकसान का आकलन किया जाता है. वन विभाग में फॉरेस्ट फायर देख रहे मुख्य वन संरक्षक मानसिंह कहते हैं कि यूं तो पर्यावरण ही नुकसान को लेकर भारत में कुछ खास तकनीक नहीं है. लेकिन फिलहाल वन विभाग पेड़, पौधों या कुदरती घास जिन्हें वनस्पति के तौर पर देखा जाता है. उसका असेसमेंट करने की कोशिश हो रही है. देश भर कोई दूसरी एजेंसी भी इस काम को लेकर माहिर है तो इन घटनाओं को लेकर अध्ययन कराया जा सकता है.
बता दें कि उत्तराखंड में वनों में आग की घटना समाप्त होने के बाद डीएफओ और क्षेत्रीय स्तर के अधिकारियों के स्तर पर आग लगी भूमि या जंगल वाले क्षेत्र को देखा जाता है. उसकी एक रिपोर्ट तैयार की जाती है. ताकि प्रभावित इलाके को फिर से हरा-भरा किया जा सकें.