तिरुपति : इंसानों में सेरोगेसी से बच्चे होने की बात चलन में है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पशुओं में भी इसे अपनाया जाता है. श्री वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में गाय की सेरोगेसी प्रेग्नेंसी से जुड़े अध्ययन के नतीजे सामने आए हैं. ओपीयू-आईवीएफ (ओवम पिकअप थ्रू ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड-गाइडेड - इनविट्रो फर्टिलाइजेशन) प्रणाली पर चल रहे शोध के मुताबिक एक गाय के गर्भाशय गुहा से एकत्र अंडों की मदद से सेरोगेसी के जरिए हर साल 10 से 12 मादा बच्चे पैदा कर सकती हैं (Surrogacy in cattle).
दरअसल तिरुमाला श्रीवरी सेवा (Tirumala Srivari Seva ) को घरेलू पशुधन की आवश्यकता है इसलिए टीटीडी ने इस संबंध में वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय से संपर्क किया. टीटीडी के निर्देशों के अनुसार श्री वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई ओपीयू-आईवीएफ प्रणाली को गुणवत्तापूर्ण घरेलू मवेशी प्राप्त करने के लिए नवंबर से अपनाया गया, ये प्रयोग सफल रहा है. एक गाय से एकत्र अंडे को 33 गायों में इस्तेमाल किया गया. इससे पांच गाय गर्भवती हो गईं, जबकि 8 का परीक्षण बाकी है.
जानिए ओपीयू-आईवीएफ प्रणाली के बारे में :इसके लिए सबसे पहले स्वस्थ नस्ल के मवेशियों का चयन किया जाता है जो ज्यादा दूध देते हों. ओव्यूलेशन में मदद करने वाला इंजेक्शन देने के 5 दिनों के बाद, अल्ट्रासाउंड तकनीक का उपयोग करके मवेशियों के गर्भाशय गुहा से अंडे एकत्र किए जाते हैं. 24 घंटे के बाद उन्हें मादा बछड़े के वीर्य से प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है और 6-8 दिनों के लिए इनक्यूबेटर में रखा जाता है. अंडे जब भ्रूण में बदल जाते हैं तो पहले से तैयार सरोगेट मवेशी में इन्हें शिफ्ट गिया जाता है. इस प्रोजेक्ट में एक गाय के 39 अंडे लिए गए और उनसे 21 भ्रूण तैयार किए गए.