हरिद्वार : प्राकृतिक आपदा आने से पहले पशु-पक्षियों को इसका आभास हो जाता है. वे उस स्थान को छोड़कर वहां से चले जाते हैं जहां आपदा आने वाली होती है. प्राकृतिक आपदा के कारणों पर शोध करने वाले हरिद्वार गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय ने इस पर एक शोध किया है कि कैसे पशु-पक्षियों को पहले ही प्राकृतिक आपदा का आभास हो जाता है.
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पशु वैज्ञानिक डॉक्टर दिनेश भट्ट कहते हैं कि पशु-पक्षियों के व्यवहार को भांपकर बड़ी प्राकृतिक आपदा से बचा जा सकता है. इसके लिए आपदा प्रभावित क्षेत्र में तैनात आर्मी, एनडीआरएफ को व्यवहार और पक्षी विज्ञान की जानकारी दी जानी चाहिए.
दिनेश भट्ट बताते है कि एक शोध में पता चला है कि जब धरती के अंदर हलचल होने से कंपन होता है तो आपदा आने का अंदेशा होता है. उससे पहले ही कुछ पशु-पक्षी उसे भांप लेते हैं, क्योंकि उनकी इंद्रियां काफी तेज होती हैं.
वे बताते हैं कि कुत्ते की सूंघने की शक्ति मनुष्य से कई गुना अधिक होती है. कुत्तों को उस जगह पर प्रयोग किया जाता है जहां विस्फोटक का अंदेशा होता है. आपदा के बाद रेस्क्यू कार्य में भी कुत्ते महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.