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चालाक है Bengal Tiger.. 20 दिन से शिकारियों के हाथ नहीं आ रहा यह बाघ

पश्चिमी चंपारण में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) से सटे बैरिया कला गांव से बाघ ने अपना ठिकाना बदल लिया है. लिहाजा अब तक उसे रेस्क्यू करने में सफलता नहीं मिली है. बाघ अब घटनास्थल से 25 किमी दूर रामनगर प्रखंड अंतर्गत चिउटाहा वन क्षेत्र के हरिहरपुर गांव के गन्ने के खेत में छुपा है.

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Published : Sep 30, 2022, 8:19 PM IST

बगहाः बिहार के पश्चिमी चंपारण में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) बगहा में बाघ का आतंक कम नहीं हुआ है. आदमखोर बाघ को पकड़ने में वन विभाग की रेस्क्यू टीम के पसीने (Rescue Team Upset To Catch Tiger In Bagaha ) छूट रहे हैं. अब बाघ ने अपना ठिकाना ही बदल लिया है. बैरिया कला गांव में सैकड़ों वनकर्मी एक्सपर्ट्स के नेतृत्व में उसका रेस्क्यू करने में दिन रात एक किये हुए हैं, लेकिन बाघ यहां से 25 किमी दूर रामनगर प्रखंड अंतर्गत चिउटाहा वन क्षेत्र के हरिहरपुर गांव के गन्ने के खेत में छुप गया है.

ये भी पढ़ेंःValmiki Tiger Reserve: आखिर क्यों दहशत में हैं ग्रामीण? बाघ-मानव के बीच क्यों बढ़ रहा है संघर्ष?

जाल में नहीं फंस रहा बाघ :यह बाघ बहुत चालाक साबित हुआ. गुरुवार को जाल बिछाया गया, लेकिन बाघ ने शिकारी और वन एवं वन्यजीव विभाग के अधिकारियों की टीम के सामने से एक बकरी को उठा ले लगया, जिसे उसके चारे के रूप में रखा गया था. इससे पहले टीम ने मंगलवार रात एक भैंस और एक बकरी को लोहे के पिंजरे में रखा था, लेकिन बाघ नहीं आया. बुधवार की रात को भी एक बकरे को पिंजरे में डाल दिया गया और गुरुवार को बाघ तड़के आकर एक बार फिर फरार हो गया.

"आदमखोर बाघ बहुत चालाक और फुर्तीला होता है. यह हर दो से तीन घंटे में स्थान बदलता है. हमने हरिहरपुर गांव में जाल बिछाया है. जब बकरी पिंजरे के अंदर थी, तो वह नहीं आई. जैसे ही हमने उसे पिंजरे के बाहर बांध दिया, वह आया और उस पर हमला किया और उसे मार डाला. बाघ बुधवार सुबह चिहुताहा वन क्षेत्र या वीटीआर में स्थित था और गुरुवार सुबह नेपाल सीमा पर स्थित राघिया वन क्षेत्र में मसान नदी पार कर पहुंचा. बाघ का मूवमेंट लगातार बदलने से थोड़ी परेशानी हो रही है लेकिन उसके पगमार्क और कैमरे से निगरानी के तहत उसका मॉनिटरिंग करते हुए रेस्क्यू की कोशिश की जा रही है. 150 से ज्यादा कर्मी रेस्क्यू और गांव की सुरक्षा में लगाए गए हैं" -नेशामणि के, फील्ड डायरेक्ट सह वन निदेशक

पिछले सप्ताह बाघ ने ले ली किसान की जानः पिछले हफ्ते 21 सितंबर को बाघ ने बैरिया कला गांव में एक किसान को मार दिया. इसके बाद वन विभाग की टीम लगातार उसकी माॅनिटरिंग कर रही है. बाघ को पकड़ने के लिए पटना और हैदराबाद से एक्सपर्ट्स की टीम आई हुई है. दो दिनों से उसको पकड़ने के लिए जद्दोजहद किया जा रहा है. इसी बीच बाघ ने अपना ठिकाना बदल लिया है. वर्तमान समय में बाघ घटना स्थल से 25 किमी दूर रामनगर प्रखंड के गुदगुदी पंचायत अंतर्गत हरिहरपुर गांव के एक गन्ने के खेत में छुपा है.

हाथी से हो रही है गश्तीः वन विभाग के विशेषज्ञों की टीम के नेतृत्व में 150 वनकर्मी रेस्क्यू करने में जुटे हैं. हाथी से गश्ती के साथ-साथ जिप्सी से पेट्रोलिंग कराई जा रही है. निदेशक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि बुधवार की देर शाम बाघ घटनास्थल से दूसरी तरफ का रुख कर लिया. इसके बाद उसका लोकेशन ट्रैक करते हुए वनकर्मी शाम से ही उसकी माॅनिटरिंग कर रहे हैं और शीघ्र ही उसका रेस्क्यू कर जंगल के भीतर छोड़ दिया जाएगा.

"बैरिया कला में जिस बाघ ने हमला किया था उस बाघ को ट्रैक किया जा रहा है. बुधवार की देर शाम बाघ घटनास्थल से दूसरी तरफ का रुख कर लिया. नकर्मी शाम से ही उसकी माॅनिटरिंग कर रहे हैं और शीघ्र ही उसका रेस्क्यू कर जंगल के भीतर छोड़ दिया जाएगा"- सुरेंद्र सिंह, निदेशक, वन एवं परिस्थितिकी

बाघ के लगातार मूवमेंट से हो रही परेशानीः फील्ड डायरेक्टर नेशामणि के ने बताया कि बाघ का मूवमेंट लगातार बदलने से थोड़ी परेशानी हो रही है लेकिन उसके पगमार्क और कैमरे से निगरानी के तहत उसका मॉनिटरिंग करते हुए रेस्क्यू की कोशिश की जा रही है. उन्होंने बताया कि 150 से ज्यादा कर्मी रेस्क्यू और गांव की सुरक्षा में लगाए गए हैं. साथ ही दो हाथियों से बाघ की मॉनिटरिंग की जा रही है. नतीजतन गन्ना के खेत में उसका पग मार्क मिला है और पूरी टीम खेत की बेरिकेडिंग कर उसे पकड़ने में जुटी है. जल्द ही उसे पकड़ कर उसके हैबिटेट में छोड़ा जाएगा.

आसपास के लोगों में दहशतः12 सितंबर को बाघ ने एक महिला को शिकार बनाया था. तभी से उसके रेस्क्यू की कोशिश की जा रही थी. इसी बीच 21 को बाघ ने एक किसान को मार डाला. इसके बाद पटना और हैदराबाद से एक्सपर्ट्स की टीम आई हुई है. ग्रामीणों का कहना है कि अभी जहां बाघ का ठिकाना है. उस क्षेत्र में पिछले वर्ष बाघ ने बंका नामक किसान को मार डाला था. ऐसे में जैसे ही लोगों को बाघ के मौजूदगी की भनक लगी. तभी से ग्रामीण दहशत में हैं और अपने मवेशियों को घर से बाहर नहीं निकाल रहे. बकरियों और भैंसों को सुरक्षित रखने के लिहाज से किसान उनको सेफ जगह पर लेकर जा रहे हैं.


बाघ के आदमखोर हो जाने की आशंकाःबाघ ने 5 माह के भीतर आधा दर्जन लोगों को अपना शिकार बनाया है. इसमें एक व्यक्ति का नरकंकाल बरामद हुआ था. ऐसे में माना जा रहा है कि बाघ आदमखोर हो गया है और यदि उसे जल्द काबू में नहीं किया गया तो इन रिहायशी इलाकों में इस तरह की दूसरी घटनाएं भी घट सकती हैं. ऐसे में आसपास के इलाके को लोग डरे हुए हैं.

"पिछले साल भी एक घटना घटी थी. बंका नाम का एक आदमी घास काटने गया था, तभी उसपर बाघ ने हमला कर दिया था. हमले में उसकी जान चली गई. यहां काफी दहशत का माहौल बना हुआ है" - मनोज उरांव, ग्रामीण

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