उत्तरकाशी सुरंग में बचाव अभियान जारी, एनडीआरएफ की दो टीमें आकस्मिक स्थिति के लिए तैनात
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में गिरी सुरंग में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. इसके बारे में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने मंगलवार को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ की दो टीमें आकस्मिक स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना से बात करते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य सैयद अता हसनैन ने यह जानकारी दी. National Disaster Management Authority, Tunnel collapse in Uttarkashi, rescue operation,
नई दिल्ली:उत्तराखंड में ढही निर्माणाधीन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है और अब टनल को दो तरफ से खोदने का काम किया जा रहा है. जहां से यह सुरंग गिरी है, उससे आगे दो किलोमीटर तक टनल बना हुआ है, लेकिन उसका दूसरा हिस्सा अभी भी बंद है. इस बचाव अभियान में अलग-अलग एजेंसी काम कर रहीं हैं. एनडीआरएफ, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्सेस, फायर डिपार्टमेंट इस बचाव कार्य में लगे हुए हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 'एनडीआरएफ की दो टीमें किसी भी आकस्मिकता और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए साइट पर रिहर्सल कर रही हैं. यदि किसी स्थिति में, उन्हें रेंगकर सुरंग में प्रवेश करना पड़े या तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता करनी पड़े या सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालना पड़े, टीमें पूरी तरह से तैयार हैं.'
आगे उन्होंने कहा कि 'सुरंग के अंदर पर्याप्त पानी, ऑक्सीजन शक्ति और रोशनी है. फंसे हुए श्रमिकों के कुछ परिवारों को वहां पहुंचाया गया है. उन राज्य प्रशासनों से संपर्क जारी है, जहां से श्रमिक आते हैं. कुछ श्रमिकों के परिजन वहां लगाए गए 4 इंच के पाइप के माध्यम से फंसे हुए श्रमिकों से बात करने में सक्षम हैं. हमारा ध्यान केंद्रित प्रयास बरमा मशीन के माध्यम से क्षैतिज ड्रिलिंग पर है, जिसे बाहर से लाया गया है.'
हसनैन ने आगे कहा कि 'एनडीआरएफ, आईटीबीपी, सेना के इंजीनियर, एसडीआरएफ, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं, बीआरओ और भारत सरकार की अन्य तकनीकी एजेंसियां वहां काम कर रही हैं. जब सुरंग में बचाव कार्य होता है, तो यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण प्रयास होता है. 3-4 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी साइट पर आये हैं. सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि जहां भी हमें विशेषज्ञों के बारे में जानकारी है, वे विशेषज्ञ पहुंच गए हैं और सलाह के लिए उपलब्ध हैं.'
उन्होंने कहा कि 'जहां मजदूर फंसे हैं, वहां अंदर काफी जगह है. जीवनयापन के लिए राशन, दवाएं और अन्य आवश्यक चीजें एक कंप्रेसर के माध्यम से उस स्थान पर पहुंचाई जा रही हैं जहां ये श्रमिक हैं.' जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा झारखंड के 15 मजदूर हैं, इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के भी मजदूर हैं. मजदूरों की जिंदगियों को बचाने के लिए 5 जगहों पर कोशिश जारी हैं, लेकिन सबसे ज्यादा सफलता क्षैतिज खुदाई में मिली है.
बताया जा रहा है कि करीब 22 मीटर तक खुदाई हो चुकी है और यह अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण काम है. कुछ और उपकरण एक दो दिन में मौके पर पहुंच जाएंगे. टनल काफी लंबा है, इसलिए इसमें ब्लास्टिंग के जरिए रास्ता बनाने की भी कोशिश की जा रही है. फिलहाल करीब 65 मीटर और आगे सुरंग का रास्ता खोलना है. 6 इंच की एक अतिरिक्त पाइपलाइन अंदर पहुंचा दी गई है, जिसके जरिए खाना भेजा जा रहा है.