उत्तरकाशी (उत्तराखंड):उत्तरकाशी के सिलक्यारा में फंसे 41 मजदूरों में से कई मजदूर की अब टनल के अंदर तबीयत खराब होने लगी है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने अंदर दवाइयां भेजी हैं. बताया जा रहा है कि कुछ मजदूर जिस दिन से टनल में फंसे हैं उस दिन से आज तक ठीक से नींद तक नहीं आई है. इतना ही नहीं लगातार खाने में फाइबर ना मिलने की वजह से मजदूरों को सिर दर्द, पेट दर्द और कब्ज जैसी दिक्कतें भी होने लगी हैं. 8 दिनों से फंसे मजदूर किन परिस्थितियों में होंगे, इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.
टनल में किस हाल में हैं मजदूर:उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर पिछले 8 दिन से जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. मजदूरों को रेस्क्यू करने के लिए लगातार मशीनों का सहारा लिया जा रही है, लेकिन जो मशीनें पूर्व में मंगवाई गई थी वो मलबे के आगे जवाब दे चुकी हैं. वहीं, बीते दिन श्रमिकों को बचाने के लिए इंदौर से मदद मांगी गई है. हालांकि टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए सेना ने भी मोर्चा संभाल लिया है. उम्मीद जताई है कि जल्द सेना टनल में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर लेगी. टनल में फंसे मजदूरों के पास ना पहनने के लिए कपड़े हैं ना ही सोने की लिए सुरक्षित जगह, साथ ही दैनिक क्रियाकलापों के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. ऐसे में मजदूरों की क्या मनोस्थिति बनी होगी, इसे आसानी से समझा जा सकता है.
लगातार ड्राई फ्रूट खाने से हो रही है परेशानी:अंदर फंसे मजदूर को खाने-पीने के लिए काजू,बादाम,पॉपकॉर्न, कुरकुरे इत्यादि भेजे जा रहे हैं. पाइप से किसी तरह का खाना भेजना संभव नहीं है. इसलिए इसी व्यवस्था के साथ मजदूरों को 8 दिन से रहना पड़ रहा है. मजदूरों को सुबह और शाम ड्राई फ्रूट का सेवन करना पड़ रहा है, जिससे उनकी तबीयत खराब होना लाजमी है. पीने के लिए पानी और ओआरएस,जूस भेजा जा रहा है. बीते दिन कुछ मजदूरों ने जब अपने साथी मजदूर और कंपनी के लोगों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि यहां पर कई लोगों की तबीयत खराब हो रही है. जिसमें अधिकतर लोगों के पेट में दर्द और कब्ज जैसी समस्या हो रही है. इसके बाद कंपनी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आरसीएस पंवार को इस बात से अवगत कराया. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने अंदर इस तरह की दवाइयां भेजी हैं, जिससे मजदूरों को राहत मिल सके.हालांकि स्वास्थ्य विभाग लगातार यह मांग कर रहा है कि अगर किसी भी तरह से अंदर दूध अंडे और भोजन भेजने की व्यवस्था हो जाती है तो काफी हद तक उनके स्वास्थ्य में सुधार आ सकता है. लगातार ड्राई फ्रूट खाने की वजह से शरीर में फाइबर की कमी हो गई है, जिस वजह से मजदूरों को दिक्कत हो रही है.
मजदूरों की सेहत पर क्या कह रहे डॉक्टर: मजदूरों और खासकर ऐसे मजदूर जो टनल में कार्य करते हैं, उन्हें ऐसे माहौल में रहने की आदत होती है ये मेहनतकश लोग और मजदूरों से इस लिए अलग होते हैं. क्योंकि टनल के अंदर का वातावरण और बाहर कार्य करना बेहद अलग होता है. यही कारण है कि 8 दिन बाद भी 41 लोगों का हौसला बना हुआ है.लेकिन अब जितनी देर हो रही है. वैसे-वैसे दिक्क्तें और बढ़ती जा रही हैं. डॉक्टर के के त्रिपाठी ने बताया कि बाहर आने के बाद मजदूरों को कई तरह की और दिक्क्त हो सकती है. अंदर कोई व्यक्ति इतने दिन तक बंद है तो उसके मानसिक व्यवहार पर तो फर्क पड़ता ही है. साथ ही साथ स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ेगा. अंदर फंसे लोगों को पहले दिन से ही ये डर सता रहा होगा की वो सुरक्षित निकल पाएंगे भी या नहीं ? ऐसे में उनका अंदाजा लगाया जा सकता है उनकी स्थिति क्या होगी.
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शौच से लेकर सोने तक ये उपाय कर रहे हैं मजदूर:बताया जा रहा है कि मजदूर 8 दिनों से शौच के लिए मिट्टी के ढेर का इस्तेमाल कर रहे हैं, जहां वो फंसे हुए हैं. जब उन्हें सोना होता है तो दीवार का टेक लेकर बैठ-बैठे सो रहे हैं. कई लोगों को तो इसलिए नींद नहीं आ रही है कि कहीं फिर से मलबा ना गिर जाए. टनल में फंसे लोग एक दूसरे से बातचीत कर समय पास कर रहे हैं. जो खाने पीने का सामान भेजा जा रहा है वो हाथों में लेकर उन्हें खाना पड़ रहा है.वहीं टनल में फंसे मजदूरों के सकुशल रेस्क्यू के लिए लोग दुआ कर रहे हैं.
एसपी बोले सभी विकल्पों पर काम कर रहे:उत्तरकाशी एसपी अर्पण यदुवंशी ने कहते हैं कि देखिये मैं ये नहीं कह सकता हूं और ना ही में इस बात को कहने के लिए एलिजिबल हूं की कितने घंटे में सभी लोग बहार आ जायेंगे, हां इतना जरूर है कि पीएमओ की टीम आई थी. उन्होंने भी अपने सुझाव दिए हैं और हम नए प्लान पर भी काम कर रहे हैं. सभी की यही कोशिश है कि जल्द से जल्द उन्हें निकाला जा सके. इसके अलावा और कुछ जानकारी जैसे ही आएगी, वैसे ही सभी को अवगत करवाया जायेगा.