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Fact Check : सेना से सिखों को हटाने का दावा फर्जी, चुनाव आयोग और कोवैक्सीन पर भी भ्रामक खबरें - no more sikhs in indian army misleading

केंद्र सरकार ने उन खबरों का खंडन किया है जिनमें सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति (सीसीएस) के हवाले से कहा गया था कि भारतीय सेना से सिखों को हटाने की पहल (reports on no more sikhs in indian army) की है. इसके अलावा सरकार ने कोवैक्सीन के प्रयोग से जुड़ी भ्रामक खबरों का भी खंडन किया है.

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सेना से सिखों को हटाने का दावा फर्जी

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Published : Jan 7, 2022, 9:17 PM IST

नई दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक की खबरों के बीच सेना से सिख लोगों को हटाने की कथित खबरें वायरल होने लगी. केंद्र सरकार ने सेना से सिख लोगों को हटाए जाने संबंधी कथित सोशल मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लिया. शुक्रवार को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की 'फैक्ट चेक' टीम ने ऐसी रिपोर्टों को फर्जी करार दिया.

दरअसल, पंजाब के फिरोजपुर में पीएम मोदी के काफिले को रोके जाने और उनकी सुरक्षा में चूक की घटना को लेकर भाजपा आक्रामक है. कई अन्य मुख्यमंत्रियों और नेताओं ने पीएम की सुरक्षा में चूक को गंभीर करार दिया है. इसी बीच सोशल मीडिया पर सेना से सिखों को हटाने संबंधी वीडियो वायरल हुआ.

सेना से सिखों को हटाने का दावा फर्जी

वायरल वीडियो में आरोप लगाया गया कि गुरुवार, 6 जनवरी को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक में भारतीय सेना से सिखों को हटाने की मांग की.

वीडियो में दावा किया गया है कि सुरक्षा पर बैठक कर रही कैबिनेट कमेटी में भारतीय सेना से सिखों को हटाने का आह्वान (reports on no more sikhs in indian army) किया गया. शुक्रवार को पीआईबी फैक्ट चेक टीम ने इसे फर्जी दावा करार दिया. पीआईबी ने कहा, ऐसा कोई निर्णय या बैठक हुई ही नहीं है.

इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है, जिसमें कहा गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कथित तौर से निर्वाचन आयोग को देश में कोविड-19 की स्थिति के बारे में चिंता न करने का सुझाव दिया गया है.

इन भ्रामक खबरों पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'मीडिया में आईं इस तरह की खबरें बेहद गलत, भ्रामक और सच्चाई से दूर हैं.'

बता दें कि गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने चुनाव आयोग के साथ बैठक में देश में कोविड-19 प्रसार के साथ-साथ ओमीक्रोन की स्थिति की समीक्षा की थी.

एक अन्य स्पष्टीकरण में, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना टीका- कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ ईयूएल लिस्ट में शामिल किए जाने संबंधी रिपोर्टों का भी खंडन किया. इन भ्रामक रिपोर्ट्स में कहा गया था कि 15-18 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को कोरोना टीका दिए जाने के लिए कोवैक्सीन को मंजूरी दी गई है, जिसे डब्ल्यूएचओ ईयूएल में भी शामिल किया गया है.

भ्रामक खबरों में कोविड टीकाकरण के दिशानिर्देशों में कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ से आपात उपयोग सूचीकरण (ईयूएल) मिलने का उल्लेख है. पीआईबी फैक्ट चेक में कहा गया है कि दिशानिर्देशों में डब्ल्यूएचओ की ईयूएल के बारे में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है.

सरकार के मुताबिक कुछ खबरों में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 15-18 आयुवर्ग के लिए कोवैक्सीन टीके के आपातकालीन उपयोग सूचीकरण (ईयूएल) को लेकर सहमति न होने बावजूद कोवैक्सीन टीके के प्रयोग को मंजूरी दी गई. इस तरह की खबरें गलत सूचना देने वाली, भ्रामक और सच्चाई से काफी दूर हैं.

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बता दें कि राष्ट्रीय नियामक केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने 24 दिसंबर, 2021 को 12-18 वर्ष के आयु समूह के लिए कोवैक्सीन टीके के ईयूएल को लेकर अपनी सहमति प्रदान की थी. इसके बाद 27 दिसंबर, 2021 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने युवा व्यस्कों यानी 15-18 वर्ष आयु समूह के टीकाकरण और अन्य चिन्हित समूहों के लिए एहतियाती खुराक के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए थे.

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