कन्नूर:कन्नूर के पय्यानूर की रहने वाली एथलीट सरोजिनी, जिन्होंने खेल के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. सरोजिनी पय्यानूर (थोडालट) की रहने वाली हैं. लेकिन कोरोना के कारण सरोजिनी का जीवन संकट में है. सरोजिनी इस समय घर पर हैं, क्योंकि कोविड के कारण स्कूल बंद है.
एथलीट सरोजिनी का संघर्ष भरा जीवन बता दें, सरोजिनी इस समय अपने भाई के साथ रह रही हैं और वे अपना खुद का घर होने का सपना संजोए बैठी हैं. सरोजिनी की उम्र करीब 50 साल हो गई है. उन्होंने साल 2010 में अपने एथलेटिक की शुरुआत की, जब उन्होंने तीन विश्व मास्टर्स चैंपियनशिप में भाग लिया.
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सरोजिनी ब्रुनेई में आयोजित वर्ल्ड ओपन मास्टर्स मीट में तीन किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर स्वर्ण पदक और 800 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता था. उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया और 10,000-5,000 और 3000 मीटर की पैदल दूरी, 800, 1500 मीटर दौड़, 4x400 मीटर, 4x100 मीटर रिले, 200 मीटर स्टीपलचेज और लंबी कूद में कई पदक जीते हैं. उन्होंने फ्रांस, जापान, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, चीन, सिंगापुर और ब्राजील जैसे देशों में चैंपियनशिप में भाग लिया और भारत के लिए पदक जीते हैं.
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हालांकि, सरोजिनी सुपरस्टार मास्टर एथलीट बन गईं, लेकिन स्थाई नौकरी उनके लिए हमेशा एक दूर का सपना था. उन्होंने आठ साल पहले पय्यानूर में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तहत एक पीएससी कोचिंग सेंटर में एक अस्थाई कर्मचारी के रूप में शुरुआत की थी. जब वह अनुबंध समाप्त हुआ तो उन्होंने लॉटरी टिकटों की बिक्री शुरू की और यह 2019 तक जारी रही. जब उनकी दुखद दुर्दशा खबर बन गई, तो तत्कालीन खेल और युवा कल्याण मंत्री ईपी जयराजन ने विशेष रूचि ली और उन्हें कन्नूर स्पोर्ट्स स्कूल में एक अस्थाई नौकरी दिलवाई.
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सरोजिनी का कहना है, उनका वेतन बकाया है और अगर भुगतान में और देरी हुई तो आगे रहना मुश्किल होगा. वह अपना बकाया वेतन दिलाने के लिए मुख्यमंत्री और खेल मंत्री से संपर्क करने की योजना बना रही हैं.
बता दें, सरोजिनी एक प्रसिद्ध मपिला गाने की गायिका भी हैं, जो कासरगोड जिलों के कन्नूर में शादी के रिसेप्शन में नियमित रूप से मौजूद रहती हैं. लेकिन जब शादियां महज एक रस्म बनकर रह गईं तो ऐसे कार्यक्रमों से होने वाली आमदनी भी बंद हो गई.