कोलकाता :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को प्रख्यात फिल्म निर्देशक बुद्धदेब दासगुप्ता के निधन पर शोक जताया और कहा कि उनकी विविधतापूर्ण कृतियों ने समाज के सभी वर्गों के दिलों के तार छुए.
मोदी ने ट्वीट कर कहा, बुद्धदेव दासगुप्ता के निधन से दुखी हूं. उनके विविधतापूर्ण कार्यों ने समाज के सभी वर्गों के दिलों के तार छुए. वह एक प्रसिद्ध विचारक और कवि भी थे. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के सदस्यों और उनके चाहने वालों के साथ हैं.
देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उनके निधन पर दुख जताया है. राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, बुद्धदेव दासगुप्ता ने अपनी विश्व-प्रसिद्ध फिल्मों के साथ-साथ कविता के साथ हमारी कला और संस्कृति को समृद्ध किया. हमने एक असाधारण कलाकार खो दिया है. शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं.
बांग्ला के प्रसिद्ध अभिनेता प्रोसेनजीत चटर्जी, फिल्मकार श्रीजीत मुखर्जी और अभिनेता राहुल बोस ने प्रख्यात फिल्मकार बुद्धदेब दासगुप्ता के निधन पर बृहस्पतिवार को उन्हें श्रद्धांजलि दी.
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 77 वर्षीय निर्देशक पिछले कुछ समय से गुर्दे से संबंधित समस्याओं से जूझ रहे थे. उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि बृहस्पतिवार सुबह यहां अपने आवास में उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया.
दासगुप्ता ने अपने करियर की शुरुआत एक कॉलेज में लेक्चरर के तौर पर की थी. बाद में कलकत्ता फिल्म सोसाइटी में सदस्य के तौर पर नामांकन के बाद वह 1970 के दशक में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उतरे.
उन्होंने अपनी पहली फीचर फिल्म 'दूरात्वा' 1978 में बनाई थी और एक कवि-संगीतकार-निर्देशक के तौर पर अपनी छाप छोड़ी थी. उससे पहले, उन्होंने लघु फिल्म 'समायर काचे' बनाई थी.
उनके निर्देशन में बनीं कुछ प्रसिद्ध फिल्मों में 'नीम अन्नपूर्णा', 'गृहजुद्ध', 'बाघ बहादुर', 'तहादेर कथा','चाराचर', 'लाल दर्जा', 'उत्तरा', 'स्वपनेर दिन', 'कालपुरुष' और 'जनाला' शामिल है. उन्होंने 'अंधी गली' और 'अनवर का अजब किस्सा' जैसी हिंदी फिल्मों का भी निर्देशन किया.
फिल्मकार के साथ 2004 की ड्रामा फिल्म 'स्वपनेर दिन' और 2007 में आई 'आमी, यासिन आर अमार मधुबाला' में काम कर चुके चटर्जी ने ट्विटर पर एक भावुक नोट लिखा.
अभिनेता ने कहा कि वह दासगुप्ता के निधन से बहुत दुखी हैं और उन्हें न सिर्फ भारतीय सिनेमा में बल्कि 'अंतरराष्ट्रीय फिल्म जगत' में भी 'चमकते नाम' के तौर पर याद किया.
चटर्जी ने बांग्ला में ट्वीट किया, सौभाग्य से, मुझे उनके साथ दो फिल्में करने का मौका मिला और मैं कई फिल्मोत्सवों में उनके साथ गया यह जानने के लिए उनकी सिनेमा की अन्य शैलियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कितना सराहा जाता है..बुद्ध दा बेहतरीन इंसान थे, अपने काम के जरिए हमेशा हमारे साथ रहें.
मुखर्जी ने कहा कि दासगुप्ता की फिल्मों ने उनकी सिनेमाई स्मृति को आकार दिया है और उनकी त्रुटिहीन कहानी कहने की कला ने एक मजबूत प्रभाव छोड़ा है.