दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

1992 की एकता यात्रा को याद कर बोले- उतरते ही हम पर फायरिंग कर दी गई, लेकिन .... - कांग्रेस नेता बिमल भाई शाह

1992 की एकता यात्रा में शामिल एक नेता ने बताया कि जैसे ही वह वहां पर उतरे, उन पर फायरिंग कर दी गई. लेकिन वे फिर भी विचलित नहीं हुए. उन्होंने कहा कि हमारे आसपास आतंकियों ने गड़बड़ करने की कोशिश भी की थी, लेकिन सफल नहीं हुए. क्योंकि हमारा सपना था कि वहां पर हम तिरंगा फहराएंगे और हमने फहरा भी दिया.

modi , joshi, 1992 ekta yatra
1992 की एकता यात्रा में मोदी, जोशी

By

Published : Jul 25, 2022, 9:36 PM IST

Updated : Jul 26, 2022, 2:56 PM IST

नई दिल्ली : तिरंगा यात्रा 1992 में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक की वो यात्रा थी, जिसका समापन श्रीनगर के लाल चौक पर झंडा फहरा कर होना था. यात्रा उस समय के बीजेपी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में होनी थी. ईटीवी भारत की कोसिश थी कि वे आज अपने उस सपने पर हमसे बात करें जो उन्होंने 30 साल पहले देखा था और उसकी शुरुआत लाल चौक से की थी. लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उनसे बात नहीं की जा सकी. ईटीवी भारत नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी ने 1992 की उस यात्रा को याद करने के लिए एक ऐसे नेता से बात की, जो अब काग्रेस का दामन थाम चुके हैं. आप भी पढ़िए, कैसे तिरंगा यात्रा को याद किया बिमल भाई शाह ने, जो अब गुजरात कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं.

'एयरपोर्ट पर उतरते ही माहौल खतरनाक दिखने लगा था. हम प्लेन में गए थे तो उतरते ही प्लेन पर भी फायरिंग हुई थी. फिर वहां एयरपोर्ट से गाड़ियों के हुजूम में हम निकले, तो जबरदस्त सुरक्षा में निकले.' ये शब्द हैं 61 बरस के बिमल भाई शाह के, जिन्होंने 1992 की बीजेपी की एकता यात्रा में हिस्सा लिया था. बाद में 2019 में बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस का दामन थाम लिया और आज वे गुजरात प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं. तीस बरस पहले वे गुजरात यूथ बीजेपी के अध्यक्ष थे और मुरली मनोहर जोशी की उस एकता यात्रा का हिस्सा भी थे, जो केरल से कश्मीर तक तिरंगा लेकर निकली थी. मकसद था श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराना. उस वक्त इस टीम में शंकर सिंह वाघेला, आनंदी बेन पटेल और सुरेश मेहता सरीखे नेता शामिल थे.

शाह ने कहा, 'हमारी गाड़ियों के आगे पीछे सिक्योरिटी फोर्सेज की गाड़ियां थीं. वहां हमे सुरक्षा बलों के कैंप में ही ठहराया भी गया.' बिमल भाई शाह अचानक ठहर जाते हैं. उन्हें एहसास होता है कि अब वे एक धुर विरोधी पार्टी में हैं. कहते हैं, 'देखिए अब मैं उस वक्त को याद नहीं करना चाहता क्योंकि अब मैं कांग्रेस में हूं. इसलिए मैं इन सब चक्करों में पड़ना नही चाहता. वो मेरे लिए ठीक नहीं होगा.'

ये पूछते ही कि क्या सुरक्षा बलों के चलते ही मुरली मनोहर जोशी और आप लोग झंडा फहरा पाए, बिमल भाई की आवाज में जोश बढ़ जाता है. उन्होंने कहा, 'नहीं ऐसी बात नहीं, हम तो अपने दम पर वहां पहुंचे थे. हमारे आसपास तो आतंकियों ने गड़बड़ करने की कोशिश भी की थी, लेकिन सफल नहीं हुए.' जब उनसे पूछा गया कि आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उसी टीम में थे..कभी याद करते हैं आप ?

ये कुरेदने पर बिमल भाई शाह फूट पड़ते हैं, बोले- देखिए ये कहना ठीक नहीं होगा. असल में हम उनके साथ थे. और ये हमारा सपना था कि वहां पर हम तिरंगा फहराएंगे और फहरा भी दिया हमने. बाद में पूरे देश में हमारे सम्मान से जुड़े कार्यक्रम हुए. नरेंद्र मोदी के साथ हमारा पुराना रिश्ता है, याद तो करेंगे ही. पार्टी चाहे अलग हो, लेकिन व्यक्तिगत रिश्ता तो है ही हमारा. बिमल शाह कुछ ठहर कर कहते हैं- 'लेकिन अब वो बड़े आदमी हो गए हैं, क्या याद करेंगे.'

अचानक उदास हो गई इस आवाज़ के क्या मायने हैं, नहीं मालूम. लेकिन तिरंगा यात्रा की नींव रखने वालों में से एक बिमल भाई शाह को इस बार लाल चौक पर तिरंगा यात्रा की तस्वीरें टीवी पर देख कर संतोष करना पड़ा. अब बेशक एक मुखालिफ पार्टी में होने की वजह से मन की बात न कह पा रहे हों, लेकिन तीस बरस पहले जान हथेली पर लेकर लाल चौक पहुंचे बीजेपी नेताओं में से एक बिमल भाई को सुकून इस बात का भी है कि उनका तिरंगा अब वहां फहरा रहा है. सोमवार को श्रीनगर के उसी ऐतिहासिक लाल चौक से मोटर साइकिलों के एक हुजूम में तिरंगा रैली निकाली गई, जहां झंडा फहराने के लिए 1992 में हवाईअड्डे पर उतरते ही बीजेपी के नेताओं का स्वागत गोलियों की तड़तड़ाहट से हुआ था. उस दिन यात्रा में शामिल बिमल भाई शाह जैसे लोगों ने बीती 25 जुलाई को यकीनन बेहद सुकून महसूस किया होगा.

ये भी पढ़ें: लाल चौक पर तिरंगा, 'करगिल विजय दिवस' के बहाने सियासत साधती भाजपा

Last Updated : Jul 26, 2022, 2:56 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details