नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय तैयार हो गया है. गौरतलब है कि पवन खेड़ा ने इस मामले में अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की थी, जिसे अदालत ने इनकार कर दिया था.
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने उच्च न्यायालय के 17 अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली खेड़ा की याचिका पर जवाब मांगे हैं. जिनसे जवाब मांगे गए हैं उनमें उत्तर प्रदेश राज्य भी शामिल है. पीठ ने कहा, "नोटिस जारी किया जाए." खेड़ा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने पीठ से कहा कि मामले में कार्यवाही पर रोक लगाई जाए. पीठ ने याचिका में मांगी गई अंतरिम राहत पर भी नोटिस जारी किया.
गौरतलब है कि 17 अगस्त को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खेड़ा की याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि मामले के जांच अधिकारी द्वारा एकत्र किए गए सबूतों का मूल्यांकन मामले को रद्द करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत दायर याचिका में नहीं किया जा सकता है. उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी भी की थी कि शीर्ष अदालत ने खेड़ा को सभी विवाद लखनऊ की न्यायिक अदालत के समक्ष उठाने के लिए कहा था, इसलिए यह उचित होगा कि वह अपनी सभी शिकायतें उक्त अदालत के समक्ष उठाएं.
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20 मार्च को उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए असम और उत्तर प्रदेश में खेड़ा के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकयों को एक साथ मिला दिया और उनकी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाते हुए मामले को लखनऊ के हजरतगंज थाने में स्थानांतरित कर दिया था. इस मामले में लखनऊ की अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी. कथित टिप्पणी के लिए खेड़ा ने अदालत में बिना शर्त माफी मांगी है. कांग्रेस प्रवक्ता को 23 फरवरी को दिल्ली हवाई अड्डे से विमान से उताकर गिरफ्तार कर लिया गया था. वह कांग्रेस महाधिवेशन में शामिल होने रायपुर जा रहे थे. उन्हें गिरफ्तारी वाले दिन शीर्ष अदालत ने अंतरिम जमानत दे दी थी, जिसे समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा. उन्हें 17 फरवरी को मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ की गई कथित टिप्पणी के सिलसिले में असम पुलिस ने गिरफ्तार किया था.