नई दिल्ली : ऐसे समय में जब पूरा असम बाढ़ से जूझ रहा है, केंद्र ने स्वीकार किया है कि अरुणाचल प्रदेश और अन्य राज्यों के हाईड्रोइलेक्ट्रिक जनरेशन डैम (hydroelectric generation dams) से पानी छोड़ने से राज्य में बाढ़ आती है और निचले इलाकों को नुकसान (damages in downstream areas) होता है.
जल संसाधन विभाग (Department of Water Resources) , नदी विकास और गंगा संरक्षण के अधिकारियों ने एक संसदीय समिति के समक्ष स्वीकार किया कि रंगनाडी, पारे, दोयांग, कोपिली, उमियाम, सेरलुई, तुइरियाल जैसे जलविद्युत उत्पादन के लिए बनाए गए कुछ बांध और अरुणाचल प्रदेश में असम के ऊपर स्थित हैं और जब अन्य राज्य क्षेत्र में उच्च वर्षा के कारण नदियों का पानी छोड़ते हैं, तो इसके परिणामस्वरूप असम में निचले क्षेत्रों में कुछ नुकसान होता है.
चूंकि इनमें से अधिकांश परियोजनाएं नदी परियोजनाओं से जुढ़ी हैं, इसलिए पानी को रोकने की कोई गुंजाइश नहीं है. हालांकि, जलाशयों के उचित संचालन, समन्वय और विनियमन के साथ कुछ हद तक बाढ़ पर नियंत्रण हासिल किया जा सकता.
आपदा प्रबंधन अधिनियम (Disaster Management Act), 2005 की धारा 10 में दिए अधिकारों का प्रयोग करते हुए जल शक्ति मंत्रालय ने सभी अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं कि जब भी उनके द्वारा पानी छोड़ने का निर्णय लिया जाता है, तो वे निचले इलाकों के अधिकारियों को सूचित करें.
अधिकारियों ने कहा कि उक्त निर्णय को संबंधित राज्यों द्वारा पर्याप्त रूप से अग्रिम रूप से सूचित किया जाना चाहिए, ताकि बांधों और जलाशयों से पानी छोड़ने के कारण आने वाली बाढ़ की स्थिति से निचली इलाकों को बचाने के लिए डाउनस्ट्रीम अधिकारियों को आदेश दिए जा सकें.