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देहदानियों के परिजनों को KGMU में मिलेगा नि:शुल्क इलाज, प्रस्ताव पर लगी मुहर

देहदान को बढ़ावा देने के लिए केजीएमयू प्रशासन ने अहम कदम उठाया है. देहदानियों के परिवारीजनों को केजीएमयू में मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाएगी.

केजीएमयू प्रशासन
केजीएमयू प्रशासन

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Published : Jul 24, 2023, 4:05 PM IST

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की नई पहल.

लखनऊ :किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए अपनी देहदान करने वाले व्यक्तियों के जीवन साथी को नि:शुल्क इलाज व जांच की सुविधा मिलेगी. केजीएमयू की कार्य परिषद ने बीते दिनों इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है. केजीएमयू में देहदान के लिए बहुत से लोग रजिस्ट्रेशन करवाते हैं, लेकिन कई मामलों में देखा गया कि रजिस्ट्रेशन करवाने वाले व्यक्ति की मौत के बाद उसके परिवारीजन सूचित नहीं करते हैं. इससे देहदान नहीं हो पाता है. संस्थान ने ऐसे परिवारीजनों को प्रेरित करने के लिए इस प्रस्ताव को तैयार किया.

केजीएमयू के एनाटॉमी डिपार्टमेंट की विभागाध्यक्ष पुनीता मानिक ने बताया कि 'मेरे जीवन में मरने के बाद भी मेरा शरीर किसी के काम आ रहा है तो इससे अच्छी और क्या बात होगी. इसका मतलब की मरणोपरांत भी अंग अंग भी किसी के काम आ सकता है तो यह बड़ी बात है. बहुत से लोगों को उसका लाभ मिलता है. मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले एमबीबीएस के स्टूडेंट्स को डेड बॉडी के जरिए बहुत सारी चीजें सीखने को मिलती हैं. असंख्य बच्चे उनकी बॉडी पर स्टडी कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि पिछले 20 वर्षों में लगभग 400 से अधिक लोगों ने अपने परिजनों के मरणोपरांत बॉडी डोनेट की है. इसके अलावा वर्तमान में लगभग चार हजार लोग ऐसे हैं, जिन्होंने बॉडी डोनेट करने के लिए रजिस्ट्रेशन करा रखा है. हर महीने विभाग में एक या दो डेड बॉडी डोनेट होते हैं.'

जीवन साथी को मिलेगा फ्री इलाज.

उन्होंने बताया कि 'केजीएमयू प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि देहदानियों के परिजनों का केजीएमयू में हर साल फुल बॉडी चेकअप कराया जाएगा और इसके अलावा उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट भी निशुल्क उपलब्ध होगा. उन्होंने बताया कि अगर पति का देहदान हुआ है तो पत्नी को ताउम्र यह चिकित्सा सुविधा प्राप्त होगी और अगर पत्नी का देहदान हुआ है तो पति को यह चिकित्सा सुविधा प्राप्त होगी. मल्टीपल इन्वेस्टिगेशन चेकअप कराया जाएगा, हमारे यहां पर सभी स्टाफ कर्मचारियों की भी सारी जांचें होती हैं, जिस व्यक्ति ने अपने परिजन का देहदान कराया हो और जिस व्यक्ति ने देहदान का निर्णय लिया, उसके लिए यह सब बहुत कम है, लेकिन फिर भी केजीएमयू प्रशासन डोनेट करने वाले तीमारदार (साथी) को ताउम्र चिकित्सा सेवा प्रदान करेगा. एनुअल हेल्थ चेकअप पूरा कंप्लीट होगा, जिसमें कोई भी जांच छोड़ी नहीं जाएगी. जो जांचें केजीएमयू के डॉक्टर स्टाफ व कर्मचारियों की होती हैं वही सारी जांचें और सुविधाएं उन्हें भी दी जाएंगी ताकि उनके साथ कोई भी भेदभाव न हो.'



उन्होंने बताया कि 'आशियाना की रहने वाली शिवकुमारी देवी के पति फूलचंद राम का 12 जुलाई 2012 को निधन हुआ था. उनकी आखिरी इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनका शरीर मेडिकल छात्रों के लिए दान कर दिया जाए. दिवंगत फूलचंद के बेटे केशव कुमार बताते हैं कि पिताजी के फैसले पर आपति हुई थी, लेकिन जब देहदान कर दिया और उसकी महत्ता के बारे में पता चला तो लगा कि इससे बड़ा नेक काम तो कोई है ही नहीं. उन्होंने कहा कि पिताजी तो चले गए, लेकिन उनका नाम सदा के लिए मेडिकल की दुनिया में अजर हो गया, जिसने पूरे परिवार को एक नई पहचान दी है.'

बेटी ने दिलाई समाज में अलग पहचान :डॉ. पुनीता ने बताया कि 'यहियागंज के कृष्ण कुमार श्रीवास्तव की बेटी साधना जन्म से ही नि:शक्त थीं. काफी इलाज के बाद भी 6 जुलाई 2013 को साधना 28 साल की उम्र में सभी को छोड़कर चली गई थीं. साधना की इच्छा थी कि उसकी दोनों आंखें दान की जाएं, लेकिन बीमारी से तंग आकर उसने पूरा शरीर दान करने का निर्णय लिया था, जिससे चिकित्सकों को पता चल सके कि आखिर साधना को ये बीमारी क्यों हुई ताकि दूसरा कोई इस बीमारी की चपेट में न आ सके. ब्राउन हॉल में साधना का नाम पुकारा तो पिता की आंखों से अश्रुधारा बह उठी थी. पिता ने कहा कि बेटी तो इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसने जो कर दिया उससे एक बाप का सीना फक्र से चौड़ा कर दिया है. बेटी के देहदान करने के बाद पत्नी प्रभा श्रीवास्तव ने भी देहदान करने का मन बना लिया.'

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