नई दिल्ली : केंद्र को नीट सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 के पाठ्यक्रम में किये गये बदलावों को वापस लेने पर विचार करने का एक मौका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चिकित्सा पेशा और शिक्षा कारोबार बन गया है और अब चिकित्सा शिक्षा का नियमन इस स्तर पर पहुंच गया है कि देश के लिए त्रासदी बन गया है.
जुलाई में परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी किये जाने के बाद आखिरी क्षण में बदलाव किये जाने पर केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) तथा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के स्पष्टीकरण से शीर्ष अदालत संतुष्ट नहीं थी.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने करीब दो घंटे की सुनवाई में केंद्र, एनबीई तथा एनएमसी को बुधवार सुबह तक समाधान निकालने का समय दिया और कहा कि युवा चिकित्सकों के प्रति किसी तरह के पूर्वाग्रह से बचने के लिए वह मामले में सुनवाई जारी रखेगी.
पीठ ने कहा, 'अभी मामले में आंशिक सुनवाई हुई है और आप अपनी व्यवस्था अब भी दुरुस्त कर सकते हैं और हम आपको कल तक का समय देंगे. हम आंशिक रूप से सुनवाई वाले मामले को स्थगित नहीं करेंगे, क्योंकि यह छात्रों के साथ पूर्वाग्रह ही होगा,लेकिन हमें उम्मीद है कि बेहतर होगा.'
शीर्ष अदालत 41 पीजी डॉक्टरों और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने 13 और 14 नवंबर को परीक्षा के आयोजन के लिए 23 जुलाई को अधिसूचना जारी होने के बाद अंतिम समय में पाठ्यक्रम में किये गये बदलावों को चुनौती दी है.