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सही निर्णय लेने में दुविधा हो तो महात्मा गांधी के ‌'जंतर' का इस्तेमाल करें : इलाहाबाद हाईकोर्ट - Allahabad HC Tells UP Govt Officers

एक महत्वपूर्ण अवलोकन में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों से कहा कि जब भी वो संदेह से घिरे हों या किसी निर्णय को लेकर दुविधा में हो तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जंतर का इस्तेमाल करें.

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Published : Nov 13, 2021, 9:12 PM IST

Updated : Nov 13, 2021, 9:31 PM IST

प्रयागराज : ज‌स्टिस अजय भनोट की खंडपीठ 15 मार्च, 2021 के न्यायालय के आदेश के उल्लंघन के कारण दायर अवमानना ​​​​याचिका से निपट रही थी, जो सबसे निचले तबके के जरूरतमंद छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने से संबंधित थी. महात्मा गांधी के 'जंतर' का उल्लेख करते हुए न्यायालय ने कहा किराष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा दिए गए 'जंतर' को संबंधित अधिकारियों द्वारा याद किया जा सकता है, जो संदेह से घ‌िरे हैं और सही निर्णय के बारे में दुविधा में हैं. मैं तुम्हें एक 'जंतर' देता हूं. जब भी तुम्हें संदेह हो या तुम्हारा अहम तुम पर हावी होने लगे, तब तो यह कसौटी आजमाओ.

जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शकल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा. क्या उससे उसे कुछ लाभ पहुंचेगा? क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर कुछ काबू पा सकेगा?

यानि क्या उससे उन करोड़ों लोगों को स्वराज्य मिल सकेगा जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त है? तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहम समाप्त हो जाएगा.

उत्तर प्रदेश सरकार समाज के वंचित वर्गों को छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति प्रदान कर रही है. सरकार ने सभी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की पात्रता के लिए आधार कार्ड/नंबर प्रदान करना अनिवार्य कर दिया है.

इसका विरोध किया गया और प्रतिवादी अधिकारियों को आधार कार्ड/नंबर के लिए जोर दिए बिना छात्रों के छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति फॉर्म को स्वीकार करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई.

इसके जवाब में कोर्ट ने एक अंतरिम उपाय के रूप में पात्र छात्रों को अधिकारियों से संपर्क करने के लिए कहा और उसके बाद 15 मार्च, 2021 को निम्नलिखित आदेश जारी किया (जिसके संबंध में मौजूदा ​​याचिका दायर की गई है)

उत्तरदाताओं को निर्देश दिया जाता है कि वे बिना आधार कार्ड के, मोबाइल फोन और बैंक खाते को लिंक करने पर पर जोर दिए बिना समाज कल्याण योजना के लाभ के अनुदान के लिए सीमांत वर्ग के छात्रों के आवेदन पत्र स्वीकार करें. अवमानना ​​याचिका में यह तर्क दिया गया था कि अदालत के आदेश का पालन नहीं किया गया और इसलिए, न्यायालय ने समाज कल्याण विभाग, यूपी सरकार के निदेशक को उसके समक्ष पेश होने का आदेश दिया.

न्यायालय की टिप्पणियां

इस बात पर जोर देते हुए कि प्रधान सचिव, समाज कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के दोष से इनकार नहीं किया जा सकता है, न्यायालय ने कहा, मामला जरूरतमंद छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने से संबंधित है जो समाज के सबसे निचले तबके के हैं और उनका शैक्षणिक करियर दांव पर है. अवमानना ​​करने वाले के साथ-साथ राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने जरूरतमंद छात्रों की दुर्दशा के प्रति उदासीनता दिखाई है और प्रथम दृष्टया इस न्यायालय द्वारा पारित आदेशों की अवहेलना की है.

इसके अलावा कोर्ट ने मामले की अगली तारीख से पहले न्यायालय के आदेशों का अक्षरश: पालन नहीं होने की स्थिति में अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति होने की मांग की.

Last Updated : Nov 13, 2021, 9:31 PM IST

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