जयपुर. आने वाले दिनों में उपभोक्ता की डिमांड के अनुसार उनकी पसंद वाली सब्जियों में जरूरत के पोषक तत्वों की आपूर्ति की जा सकेगी. भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र की नई खोज की बदौलत ये सब कुछ मुमकिन होने जा रहा है. देश की बढ़ती आबादी की जरूरतों का ध्यान रखते हुए नई तकनीक के साथ कृषि को बाजार के साथ जोड़ा जा रहा है. जिससे उपभोक्ता अपनी पसंद की सब्जियों में जरूरत के पोषक तत्वों की भरपाई कर सकेंगे. इस सिलसिले में ईटीवी भारत ने भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र की वेजिटेबल साइंस विभाग के प्रमुख डॉ. बीएस तोमर से बातचीत की. वे जयपुर स्थित दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केन्द्र में एक कार्यक्रम में आये थे. उन्होंने बताया कि आने वाले वक्त में कैसे सब्जियों के परंपरागत रंग बदल जाएंगे और पालक का सेवन आयरन के लिये नहीं बल्कि विटामिन सी के लिये भी किया जा सकेगा.
रंग बदलती सब्जियां, यह होगा खास : डॉ बीएस तोमर के मुताबिक आने वाले समय में परंपरागत सब्जियों के रंग और उनमें उपलब्ध पोषक तत्वों की पहचान बदल जाएगी. इसके लिए उनका शाकीय विज्ञान तेजी से डेडीकेटेड रिसर्च में व्यस्त है. जहां सब्जियों की उन्नत किस्मों के साथ ही संकर और संरक्षित खेती के लिये किस्मों के विकास पर जोर दिया जा रहा है. डॉ. तोमर ने बताया कि आज का खाद्य उपभोक्ता सब्जियों में भी अभिनव प्रयोग को पसंद कर रहा है, मसलन नीली गोभी, पीली गोभी या ऑरेंज कलर की गोभी, लाल रंग की भिंडी, लाइकोपीन रिच टोमेटो या विटामिन सी रिच पालक जैसी जरूरत आज उपभोक्ता महसूस कर रहा है.
ऐसे में नीले रंग की फूल गोभी की खासियत होगी कि वह एंथोसाइनिन शरीर को देगी, जो कि एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है. जिसे हफ्ते में एक बार या दो बार खाने से शरीर की रोजमर्रा की जरूरत पूरी हो जाएगी. इसके अलावा इस नीली गोभी में कैंसर के वायरस को खत्म करने की ताकत भी होगी. इसमें मौजूद ग्लूकोज राफेन एंटी कैंसर के रूप में शरीर को ताकत देगा. इसी तरह से ऑरेंज रंग की गोभी बीटा कैरोटीन नाम का एंटीऑक्सीडेंट शरीर को देगी. जो हमारे शरीर को फ्री रेडिकल्स नाम के कणों से बचाता है. शरीर को रोजाना 5 मिलीग्राम बीटा कैरोटीन की जरूरत होती है. बाजार में उपलब्ध हरे रंग की ब्रोंकली की जगह अब नीले रंग की ब्रोंकली आएगी, जो रिच एंथोसाइन के कारण सेहतमंद होगी.