नई दिल्ली : लाला किला पर हमला उस समय हुआ जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने के लिए सीमा पर एकतरफा युद्धविराम लागू किया था. 22 दिसंबर, 2000 को लश्कर-ए-तैयबा के छह आतंकवादी दिल्ली के लाल किले में घुस आए और राजपूताना राइफल्स की 7वीं बटालियन के गार्डों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी, जिसमें एक नागरिक समेत तीन की मौत हो गई. लाल किले में मौजूद सेना के जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की, लेकिन आतंकवादी भाग निकले.
पुलिस ने मृतक की पहचाननागरिक संतरी अब्दुल्ला ठाकुर, राइफलमैन उमा शंकर और नायक अशोक कुमार के रूप में की. घटना के कुछ घंटों बाद अस्पताल में इलाज के दौरान नाइक अशोक कुमार ने दम तोड़ दिया.
पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा ने हमलों की जिम्मेदारी ली.
कैप्टन एसपी पटवर्धन के बयान के आधार पर कोतवाली पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसमें उन्होंने कहा था,'दो व्यक्ति एके 56/47 राइफल से लैस होकर सलीम गढ़ गेट की दिशा से लाल किले में दाखिल हुए. यमुना पुल और उन्होंने नागरिक संतरी अब्दुल्ला ठाकुर पर गोलीबारी की. उन्होंने राइफलमैन उमा शंकर को भी मार डाला और कार्यालय परिसर के पास यूनिट लाइन में कमरे के अंदर गए और नायक अशोक कुमार पर गोलियां चलाईं, जो गंभीर रूप से घायल हो गए थे. बाद में वे एएसआई संग्रहालय परिसर में घुस गए और संग्रहालय के अंदर स्थित पुलिस गार्ड रूम में गोलीबारी की. जवाबी कार्रवाई में त्वरित प्रतिक्रिया टीम ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी और वे भागने में सफल रहे.'
जांच के दौरान, पुलिस को एक पॉलीथिन बैग मिला, जिसमें नकदी और कागज की पर्ची थी, जो उनका मानना है कि हमलावरों में से एक की जेब से गिर गया होगा. उनके पास से करेंसी नोट और एक कागज की पर्ची भी बरामद हुई. पुलिस को एक फोन नंबर मिला और तकनीकी निगरानी की मदद से उन्होंने आरोपी का पता लगा लिया.
घटना के चार दिन बाद, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दक्षिणपूर्व दिल्ली के जामिया नगर इलाके में एक मुठभेड़ के बाद पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक और उसकी पत्नी रहमाना यूसुफ फारूकी को गिरफ्तार किया. 20 फरवरी 2001 को पुलिस ने अशफाक और 21 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.