नई दिल्ली: पीएनबी घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी को इंटरपोल के रेड नोटिस से हटाने के मामले पर राजनीति तेज हो गई है. इसको लेकर AAP ने BJP पर जमकर हमला बोला है. भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि उसने इंटरपोल को जानबूझकर सबूत नहीं सौंपा. जिस वजह से चोकसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस रद्द हो गया. भाजपा सरकार ने भगोड़े को एंटीगुआ की नागरिकता दिलवाने में मदद की. 2016 में उसके खिलाफ पत्र मिलने के बाद भी प्रधानमंत्री कार्यालय ने अभी तक जांच क्यों नहीं कराई.
मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि सीबीआई- ईडी विपक्षी नेताओं के खिलाफ तो पूरी सख्ती दिखाती हैं, उन्हें झूठे केस बनाकर फंसाती हैं, लेकिन हजारों करोड़ के फ्रॉड करने वाले बीजेपी के दोस्तों के साथ कुछ नहीं करती. भाजपा सरकार मेहुल चौकसी को रेड कॉर्पेट सुविधा उपलब्ध करा रही है. पूरी भाजपा बचाने में लगी है.
ईडी-सीबीआई पर सवाल उठाते हुए कहा कि बहुत दुख की बात है कि केंद्र सरकार की ईडी-सीबीआई उसके खिलाफ इंटरपोल को सबूत देने में नाकाम रहीं. इसलिए इंटरपोल ने दोनों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस रद्द कर दिया. आखिर क्यों एजेंसियां उसको बचाने में लगी हैं? चड्ढा ने सवाल उठाते हुए कहा कि 2018 में दावोस वर्ल्ड इकोनामिक फोरम में प्रधानमंत्री के साथ चोकसी खड़े थे. वह तस्वीर जारी भी की गई. उसके दो दिन बाद ही पंजाब नेशनल बैंक ने बताया कि उसने 13500 करोड़ का गबन किया, लेकिन जब तक एफआईआर हुई तब तक केंद्र सरकार ने मेहुल चोकसी से सांठगांठ कर उसे देश से फरार करवा दिया.
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जब भाग कर एंटीगुआ पहुंचा तो भाजपा सरकार ने कार्रवाई करने के बजाय उसे एंटीगुआ की नागरिकता दिलवाने के लिए NOC जारी कर दी. इसी सर्टिफिकेट के आधार पर उसे वहां की नागरिकता मिली. नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने भाजपा को करोड़ों रुपए का चंदा दिया. भाजपा के कई बड़े नेताओं के साथ उनके अच्छे रिश्ते हैं. इसलिए जब इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया और सरकार से सबूत मांगा तो जानबूझकर कोई सबूत इंटरपोल को नहीं उपलब्ध कराया.
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