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कितने ही 'नीरज' के सपने तोड़ रही है खंडरा की खस्ता हाली, जानें 'गोल्डन ब्वॉय' के गांव की रियलिटी - गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा का गांव

टोक्यो ओलंपिक 2020 के गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा का गांव दुर्दशा का शिकार है. गांव में पीने का स्वच्छ पानी भी नहीं है. गांव में स्टेडियम के नाम पर बस झाड़-झाड़ियों से अटा पड़ा जमीन का एक टुकड़ा है, जाे न जाने कितने ही 'नीरज' जैसे बनने की चाह रखने वाले युवाओं के सपनाें काे ताेड़ रही है.जानें गोल्डन ब्वॉय नीरज चाेपड़ा के गांव का आंखाें देखी हाल....

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Published : Aug 10, 2021, 5:10 PM IST

पानीपत :आज पूरे देश की जुबां पर भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Javelin Throw Athlete Neeraj Chopra) का नाम है. अब पानीपत के नीरज चोपड़ा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. आज हर माता-पिता का यही सपना है कि उनके बच्चे भी नीरज जैसे ही बनें.

आज युवा नीरज चोपड़ा को अपना रोल मॉडल मान रहे हैं. नीरज चोपड़ा के खंड़रा गांव (Khandra Village Panipat) के युवा तो उन्हें अपना हीरो माना है. नीरज के जैसे ही गांव के 10-12 साल के बच्चों के दिल में कुछ कर गुजरने की चाह है, लेकिन वो चाहकर भी कुछ कर नहीं सकते. क्योंकि नीरज के गांव में सुविधाओं काे बेहद कमी है.

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स्टेडियम (Neeraj chopra Village Stadium) की क्या हालत है, इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते.

नीरज चोपड़ा, जिनकी वजह से 13 साल बाद देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल मिला. उनके गांव के बदहाल स्टेडियम में कोई भी सुविधा नहीं है. यहां स्टेडियम के नाम पर पांच एकड़ के जमीन पर जंगली घास उगी हुई है. कोई ट्रैक नहीं, कोई मैदान नहीं, चार दिवारी तक नहीं, स्टेडियम के नाम पर बस झाड़-झाड़ियों से अटा पड़ा जमीन का एक टुकड़ा है. गांव में भी सुविधाओं का बहुत अभाव है. यहां पीने का पानी भी खारा है, जो पीने लायक नहीं है. महिलाओं को करीब दो किलोमीटर दूर खेतों के ट्यूबवेल से पीने का पानी लाना पड़ता है.

खंडरा गांव के युवाओं को प्रैक्टिस करने के लिए पानीपत के शिवाजी स्टेडियम (Shiva ji Stadium Panipat) जाना पड़ता है. ऐसे में ज्यादातर बच्चे स्टेडियम तक पहुंच ही नहीं पाते.

बता दें, नीरज चोपड़ा ने इससे पहले भी कई बार अपने गांव का नाम राेशन किया है. नीरज एशियन और कॉमन वेल्थ गेम्स में भी गोल्ड जीत चुके हैं. ग्रामीणों का कहना है कि नीरज ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था तो गांव को चार करोड़ रुपए देने की घोषणा की गई थी, लेकिन अभी तक नहीं मिली.

वहीं इस बार ओलंपिक में नीरज की जीत के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पंचकूला में एक और स्टेडियम बनाने की बात की है, लेकिन ग्रामीणों की मांग है कि उनके गांव के स्टेडियम को बनाया जाए, जो कि सभी सुविधाओं से लैस हो.

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नीरज चोपड़ा आज पूरे देश के स्टार बन चुके हैं, लेकिन उनके गांव के स्टेडियम के हालत देखकर एहसास होता है कि किन मुश्किलों से उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है. सरकार आज नीरज चोपड़ा को तो सम्मानित कर रही है, लेकिन प्रशासन और सरकार का यह रवैया न जाने कितने 'नीरज चोपड़ा' के सपनों को तोड़ दे रही है.

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