पानीपत :आज पूरे देश की जुबां पर भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Javelin Throw Athlete Neeraj Chopra) का नाम है. अब पानीपत के नीरज चोपड़ा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. आज हर माता-पिता का यही सपना है कि उनके बच्चे भी नीरज जैसे ही बनें.
आज युवा नीरज चोपड़ा को अपना रोल मॉडल मान रहे हैं. नीरज चोपड़ा के खंड़रा गांव (Khandra Village Panipat) के युवा तो उन्हें अपना हीरो माना है. नीरज के जैसे ही गांव के 10-12 साल के बच्चों के दिल में कुछ कर गुजरने की चाह है, लेकिन वो चाहकर भी कुछ कर नहीं सकते. क्योंकि नीरज के गांव में सुविधाओं काे बेहद कमी है.
स्टेडियम (Neeraj chopra Village Stadium) की क्या हालत है, इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते.
नीरज चोपड़ा, जिनकी वजह से 13 साल बाद देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल मिला. उनके गांव के बदहाल स्टेडियम में कोई भी सुविधा नहीं है. यहां स्टेडियम के नाम पर पांच एकड़ के जमीन पर जंगली घास उगी हुई है. कोई ट्रैक नहीं, कोई मैदान नहीं, चार दिवारी तक नहीं, स्टेडियम के नाम पर बस झाड़-झाड़ियों से अटा पड़ा जमीन का एक टुकड़ा है. गांव में भी सुविधाओं का बहुत अभाव है. यहां पीने का पानी भी खारा है, जो पीने लायक नहीं है. महिलाओं को करीब दो किलोमीटर दूर खेतों के ट्यूबवेल से पीने का पानी लाना पड़ता है.