बहनगा:दीपक रंजन बेहरा. एक सेवानिवृत्त सैनिक. वह शुक्रवार शाम को बहानागा स्थित मैदान में अपने दोस्त की टीम के साथ खेल रहा था. शाम करीब 6.45 बजे उन्हें अचानक भूकंप जैसी तेज आवाज सुनाई दी. एक बड़ी चमक दिखाई दी. इसी दौरान चीख-पुकार मच गई. तभी आठ लोगों का जत्था एक साथ उस तरफ दौड़ा. घटनास्थल के चारों ओर घना अंधेरा था. उन्होंने अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाई तो उनकी आंखों के सामने एक भयानक मंजर था. उन्होंने बिना एक पल की देरी के बचाव कार्य शुरू कर दिया. थोड़ी देर में वहां पूरा बनगहा गांव वहां पहुंच गया.
दीपक रंजन बेहरा और उनके सभी दोस्त युद्ध के मैदान की तरह लोगों को रेस्क्यू करने में जुट गए और लोगों को बोगियों से बाहर निकालने लगे. दीपक ने बताया कि सरकारी सहायता टीमों के आने से पहले स्थानीय लोगों ने रात करीब 9 बजे तक रेस्क्यू किया. उसके बाद घायलों को अस्पतालों में ले जाया गया. इसके बाद भी उन्होंने पूरी रात सेवा की. बहनगा गांव के लोगों ने अगर मौके पर पहुंचकर लोगों को बोगियों से बाहर नहीं निकाला होता तो मंजर कुछ और होता. दीपक रंजन बेहरा और शुभंकर जेना ने दुर्घटना के दिन का अपना अनुभव ETV Bharat से साझा किया.
जब हम बोगियों पर चढ़े तो सभी यात्री एक-दूसरे के ऊपर ढेर के रूप में थे. एक ऐसी स्थिति जहां आपको लोगों के ऊपर से चलना पड़ता है. कई लोग नीचे फंस गए हैं और बचाव के लिए चिल्ला रहे हैं. ऐसे में हमने सभी को बाहर निकाला. बोगियों के अंदर घोर अंधेरा था. कुछ नहीं दिखता. कुछ तो पहले ही अपनी जान गंवा चुके थे. हम उन्हें अपने कंधों पर उठाकर नीचे लाए. हमने लाशों को एक जगह रख दिया.