जोधपुर.1971 युद्ध में लोंगेवाला पोस्ट के नायक भैरोसिंह (Bhairo Singh remembered) अब दुनिया में नहीं रहे. भैरो सिंह राठौड़ की पार्थिव देह उनके गांव सोलंकियातला पूरे सम्मान के साथ बीएसएफ लेकर पहुंची तो गांव में भैरो सिंह अमर रहे नाम के नारे गूंजते रहे. घर में पारंपरिक रस्मों के बाद शव यात्रा शुरू हुई. जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके बाद उनके पुत्र सवाई सिंह ने मुखाग्नि दी.
बीएसएफ की 14 वीं बटालियन में सेवा देने वाले नायक भैरोसिंह ने विजय गाथा कि कहानी कुछ दिन पहले ही कैमरे के सामने दोहराई थी. बीएसएफ ने आज उसे साझा किया. अपने संस्मरण में उन्होंने 5 दिसंबर की रात से छह दिसंबर 1971 की सुबह तक की दास्तान सुनाई थी. उन्होंने बताया था कि कैसे आधी रात के बाद चार घंटे तक उन्होंने अपने 125 साथियों के साथ मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी की अगुवाई में पाकिस्तान की पूरी इन्फेंट्री के साथ मुकाबला किया था (Last rites of Bairo Singh Rathore).
उन पलों को याद कर बताया था कि- पाकिस्तान की फौज भारतीय पोस्ट के मुहाने तक पहुंच गई थी. भारत ने फायरिंग शुरू की. पाकिस्तान ने भी गोले बरसाने शुरू कर दिए. सब हतप्रभ थे. इस दौरान आवाज सुनाई दी कि डरना मत मैं तुम्हारे साथ हूं. भैरोसिंह के मुताबिक वो आवाज तनोट माता की थी. उसके बाद भारतीय जवानों ने अपना दम खम दिखाया. पाक फौज को आगे नहीं बढ़ने दिया.