श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर):परिसीमन आयोग ने केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी है. न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर पर तीन सदस्यीय आयोग ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन के आदेश पर हस्ताक्षर किए. इस प्रस्ताव के अमल में आने के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी. वहीं कश्मीरी राजनेताओं ने आयोग की रिपोर्ट को निराशाजनक बताया.
इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता मुहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि 84वें संविधान संशोधन ने 2026 तक संसद और निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन को रोक दिया था, ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले जनगणना होनी चाहिए. रिपोर्ट का मसौदा तैयार करते समय 2002 के अधिनियम का भी पालन नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत निवासियों पर लगाया गया था. तारिगामी ने कहा कि हमने कभी भाग नहीं लिया है और हमारी अनुपस्थिति में कोई निर्णय नहीं किया जा सकता है और इस तरह के किसी भी निर्णय को कभी भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हमारा विशेष राज्य का दर्जा रद्द कर दिया गया है, इस फैसले के खिलाफ हमने याचिका दायर की है लेकिन दुर्भाग्य से, आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.
उन्होंने कहा कि हम संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करना चाहते हैं और यदि परिसीमन पर प्रतिबंध है, तो यहां क्यों? निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए एक बुनियादी मानदंड है और फिर बाकी मानदंड का पालन किया जाता है. किस आधार पर एक निर्वाचन क्षेत्र दूसरे को दिया गया था? उन्होंने आगे कहा कि सभी को 2011 के आंकड़ों की जांच करनी चाहिए इससे सभी का तथ्यों का पता चल जाएगा. वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि इस प्रक्रिया के पीछे किसी को लाभ पहुंचाने का मकसद था. हम इस रिपोर्ट के व्यक्तिगत प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेकां का मानना है कि जब भी यहां विधानसभा चुनाव होंगे, लोग इसका निर्णायक जवाब देंगे.