नई दिल्ली : माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की पुलिस की मौजूदगी में हत्या कर दी गई. हमलावरों ने 14 गोलियां चलाईं, लेकिन पुलिस की ओर से घटनास्थल पर जवाबी कार्रवाई नहीं की गई. हालांकि, पुलिस ने तीनों हमलावरों को जरूर गिरफ्तार कर लिया. तीनों ही गुंडे हिस्ट्रीशीटर हैं. हमलावरों के पास से विदेशी पिस्टटल बरामद हुए हैं. अब विपक्षी पार्टियों ने इस घटना को लेकर यूपी पुलिस पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि सबकुछ पुलिस की उपस्थिति में हो रहा है, तो निश्चित तौर पर यह पुलिस की अक्षमता को दर्शा रहा है.
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यूपी में कानून का राज नहीं, बल्कि बंदूक का राज चल रहा है, भाजपा सरकार पूरी तरह से इसमें संलिप्त है. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जानी चाहिए और इस मामले में यूपी के किसी भी पुलिस अधिकारी को शामिल नहीं किया जाना चाहिए, यह खुले आम मर्डर है. एआईएमआईएम सांसद ओवैसी ने यह भी कहा कि वह यूपी जाने से नहीं डरते हैं, और वह वहां जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब प्यार किया तो डरना क्या. ओवैसी ने कहा कि इस अतिवाद को रोकना होगा.
उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस की मौजूदगी में किसी की हत्या कर दी जाती है, तो यह एक गंभीर मामला है. यह राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल है, भले ही सरकार ने धारा 144 लागू कर दी हो.
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए. सिब्बल ने कहा कि किसकी गिरफ्तारी हो, और उसे किस तरह से जेल में रखा जाना चाहिए, सबकुछ कोर्ट द्वारा तय की जानी चाहिए.
वरिष्ठ पत्रकार सबा नकवी ने कहा कि यह भारत में हो रहा है, किसी को भी यकीन नहीं हो रहा है, एक ऐसे जगह पर जहां कभी गांधी ने अहिंसा का आंदोलन छेड़ा था. उसी राज्य में राजनीतिज्ञ इस हत्या को सही ठहरा रहे हैं.