नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज किसानों के हित में एक बड़ा एलान कर दिया है. उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को रद्द (Farm Law Repeal) करने का फैसला किया है. उन्होंने इसकी घोषणा करने के साथ आंदोलनरत किसानों से अपने-अपने घर और खेतों की तरफ लौटने की अपील की. पीएम मोदी के इस एलान का किसान संगठनों और राजनेताओं ने स्वागत किया है.
केंद्र सरकार के फैसले का पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने किया स्वागत
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का स्वागत किया. इन कानूनों के खिलाफ किसान एक साल से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं. जनता दल (सेक्युलर) के प्रमुख ने एक ट्वीट में कहा कि मैं तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले का स्वागत करता हूं. कानूनों के खिलाफ लोकतांत्रिक रूप से विरोध करने वाले सभी किसानों को मेरा सलाम. उन्होंने कहा कि संसदीय ढांचे में बहस और चर्चा महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने सितंबर 2020 में राज्यसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ दिये गये अपने भाषण की प्रति भी पोस्ट की. पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा था कि ऐसे बड़े सुधारों को लागू करने के लिए अध्यादेश जारी करने से, जो लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं, एक गलत संदेश गया है.
केंद्र को इस तरह की शर्मिंदगी से बचने के लिए अन्य दलों को विश्वास में लेना चाहिए :उद्धव ठाकरे
विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की केंद्र की घोषणा के कुछ घंटों बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार को भविष्य में इस तरह की शर्मिंदगी से बचने के लिए अब से अन्य दलों को विश्वास में लेने की सलाह दी. ठाकरे ने केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा देश में आम आदमी की ताकत को रेखांकित करता है. केंद्र सरकार को आज जैसी शर्मिंदगी से बचने के लिए बातचीत करनी चाहिए और अन्य दलों को विश्वास में लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की वास्तविक प्रक्रिया जल्द पूरी होगी.
हमारी पार्टी हमेशा किसानों के लिए समर्पित : हेमा मालिनी
मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि ये जो कानून था वो किसानों के लिए बहुत अच्छा था, लेकिन कुछ किसान लोग नहीं चाह रहे थे. इसलिए केंद्र की सरकार ने आज तीनों कानूनों को रद्द किया है. हमारी पार्टी हमेशा किसानों के लिए समर्पित है.
चंद्रबाबू नायडू ने PM के फैसले का स्वागत किया
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का स्वागत किया. नायडू ने कहा कि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के लगातार विरोध प्रदर्शन के जवाब में प्रधानमंत्री ने सही फैसला किया है. नायडू ने एक बयान में कहा कि इसी तरह के कदम के चलते आंध्र प्रदेश सरकार को भी किसानों के हित में तीन राज्यों की राजधानियों के फैसले को वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि अमरावती के किसानों और पूरे राज्य के बहुप्रतीक्षित सपने को पूरा किया जाना चाहिए. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि ये अमरावती राज्य के लिए धन और रोजगार के अवसर पैदा करने में बड़ी भूमिका निभाएगा.
यह किसानों के हित में : नवीन पटनायक
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा का शुक्रवार को स्वागत किया. पटनायक ने कहा कि उनकी पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) किसानों का समर्थन जारी रखेगी.उन्होंने ट्वीट किया कि देश और उसके किसानों के हित में सभी तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत है. आपके खेत और परिवार लंबे समय से आपका इंतजार कर रहे हैं और वो आपका स्वागत कर खुश होंगे. बीजद ओडिशा किसानों के साथ खड़ी रहेगी.
किसानों की जीत हुई : चन्नी
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि 'काले' कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला पंजाब के किसानों द्वारा किए गए लोगों के सबसे लंबे शांतिपूर्ण संघर्ष की जीत है.
किसानों का संघर्ष सफल हुआ : अकाली दल
तीनों कृषि कानूनों के रद्द होने पर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि आज प्रकाश पर्व पर परमात्मा की बड़ी कृपा बरसी कि आज किसानों का संघर्ष सफल हुआ है मैं इसके लिए उन्हें बधाई देता हूं.
वहीं शिरोमणि अकाली दल की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि इन तीन काले कृषि क़ानूनों के खिलाफ1.5 साल की लड़ाई के बाद किसानों को जीत मिली है. आज उन 800 किसानों को याद करने का दिन है, जिन्होंने इन कानूनों की वापसी के लिए अपनी जान गंवाई. हम उनके बलिदान को कभी नहीं भूल पाएंगे.
धरना खत्म कर दें किसान : खट्टर
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि जो कृषि कानून बिल पास किया गया था, वो किसानों के हित में था, लेकिन कुछ किसान नेताओं ने ऐतराज जताया. इसलिए आज पीएम मोदी ने बड़े हृदय से उन कानूनों को वापस लिया है और जैसे ही लोकसभा का सत्र शुरू होगा, वैसे ही इसे विधिवत तौर पर संसद में रखकर वापस लिया जाएगा.
खट्टर ने कहा कि हमने किसानों से अपील की कि वो अपने धरने को समाप्त कर बॉर्डर को खाली कर दें. जहां तक एमएसपी की बात है तो इसके लिए भी पीएम मोदी ने पहल करके कहा है कि एक कमेटी बनाई जाएगी और इस कमेटी में केंद्र और प्रदेश सरकार के लोग, कृषि वैज्ञानिक आदि लोग इस पर सार्थक निर्णय लेंगे.
कृषि कानूनों वापस होना किसानों के संघर्ष का परिणाम : येचुरी
सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी ने कहा कि हमारे किसानों और उनके बहादुर संघर्ष को सलाम जिसने मोदी के तीन काले कृषि कानूनों को रद्द कर दिया है. हमें इस संघर्ष में अपनी जान गंवाने वाले 750 से अधिक किसानों के बलिदान को नहीं भूलना चाहिए, वे हमारे शहीद हैं.
उन्होंने केंद्र की सरकार पर आरोप लगाया कि झूठे मामलों के जरिए सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा निशाना बनाए गए लोगों के लिए न्याय की तलाश जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को अपने व्यापारिक साझेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानूनों के अपने तानाशाही कदम के कारण हुई कठिनाई और परेशानी के लिए माफी मांगनी चाहिए.
एमके स्टालिन ने पीएम के फैसले का स्वागत किया
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत किया और इसे किसानों की जीत बताया. प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद, स्टालिन ने ट्वीट किया कि लोकतंत्र में लोगों का, उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए. स्टालिन ने ट्वीट किया, 'मैं पूरे दिल से, माननीय प्रधानमंत्री के किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत करता हूं. इतिहास ने हमें सिखाया है कि लोकतंत्र में जनता का सम्मान किया जाना चाहिए. मैं किसानों को बधाई देता हूं और गांधीवादी तरीकों से इसे हासिल करने के उनके दृढ़ संकल्प को नमन करता हूं.'
भाजपा सरकार अपने लिए हालात बिगड़ते देख प्रतिक्रिया देती है : उमर अब्दुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर किसी को भी लगता है कि सरकार ने कृषि कानूनों को बड़प्पन दिखाते हुए निरस्त किया तो यह उसकी गलतफहमी है. अब्दुल्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार 'अपने लिए हालात बिगड़ते देख' प्रतिक्रिया देती है.
उन्होंने ट्वीट किया, 'किसी को भी अगर यह लगता है कि सरकार ने बड़प्पन दिखाते हुए कृषि कानूनों को रद्द किया है तो यह उसकी गलतफहमी है. यह सरकार केवल अपने खिलाफ स्थिति जाते देख प्रतिक्रिया देती है - उपचुनावों में मिले झटके के बाद जैसे ईंधन के दाम कर दिए गए. पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनावी गणित गड़बड़ाने के साथ ही कृषि कानून निरस्त कर दिए गए.'
किसानों को बधाई, वे भाजपा की क्रूरता से विचलित नहीं हुए : ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अथक संघर्ष करने के लिए बधाई दी और कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने जिस 'क्रूरता' से व्यवहार किया, उससे वे विचलित नहीं हुए. बनर्जी ने ट्वीट किया, 'हर उस किसान को मेरी ओर से हार्दिक बधाई जिसने अथक संघर्ष किया और भाजपा ने जिस क्रूरता से आपके साथ व्यवहार किया, उससे आप विचलित नहीं हुए. यह आपकी जीत है! उन सभी लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं है जिन्होंने इस लड़ाई में अपने प्रियजनों को खो दिया.'
कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का स्वागत : नड्डा
भाजपा के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस निर्णय ने साबित किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के खास दिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई घोषणा का भाजपा ह्रदय से स्वागत करती है. प्रधानमंत्री मोदी ने पुनः साबित किया है कि वह किसान भाइयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस फैसले से पूरे देश में भाईचारे का माहौल बनेगा.'
शाह ने कृषि कानून निरस्त करने के पीएम के फैसले का स्वागत किया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'राजनेता की तरह' लिए गए फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री के लिए प्रत्येक भारतीय के कल्याण के अलावा कोई विचार बड़ा नहीं है.
उन्होंने ट्वीट किया, 'कृषि कानूनों से जुड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा स्वागत योग्य और एक राजनेता की तरह उठाया गया कदम है. जैसा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत सरकार हमारे किसानों की सेवा करती रहेगी और उनके प्रयासों का हमेशा समर्थन करेगी.'
गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के बारे में अनोखी बात यह है कि उन्होंने इस घोषणा के लिए गुरु परब का विशेष दिन चुना. शाह ने कहा, 'इससे यह भी जाहिर होता है कि उनके मन में प्रत्येक भारतीय के कल्याण के अलावा कोई दूसरा विचार नहीं है. उन्होंने उल्लेखनीय उत्कृष्टता दिखाई है.'
कृषि सुधार की दृष्टि से आए गए थे कृषि कानून
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सुधार की दृष्टि से तीन कृषि कानून लेकर आए. मुझे दुख है कि इन कृषि कानूनों के लाभ हम देश के कुछ किसानों को समझाने में सफल नहीं हो पाए. हमने कृषि कानूनों के बारे में किसानों को समझाने की कोशिश की लेकिन हम सफल नहीं हो पाए.
तोमर ने कहा कि समिति का गठन कृषि के प्रति प्रधानमंत्री के दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ-साथ किसानों के प्रति उनकी संवेदनशीलता का भी संकेत है. एक वीडियो संदेश में कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार तीन नए कृषि कानून लाकर कृषक समुदाय की दिक्कतों को दूर करना चाहती थी. उन्होंने कहा कि पिछले साल संसद द्वारा पारित किए गए ये कानून निश्चित रूप से किसानों को लाभान्वित करते. उन्होंने कहा कि इन कानूनों के पीछे प्रधानमंत्री का मंतव्य किसानों के जीवन में 'क्रांतिकारी बदलाव' लाना था.
तोमर ने कहा, 'मुझे दुख है कि हम कुछ किसानों को इन कानूनों के लाभ के बारे में समझाने में सफल नहीं हुए.' प्रधानमंत्री ने हमेशा इन कानूनों के जरिये कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने की कोशिश की. लेकिन ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि कुछ किसानों को इन कानूनों से दिक्कतें हुईं. उन्होंने कहा कि सरकार ने तार्किक रूप से चर्चा करने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाया.
उन्होंने कहा, 'हमने समझाने की कोशिश की लेकिन हम सफल नहीं हुए.' उन्होंने कहा कि सरकार पिछले सात वर्षों से कृषि और किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.
तोमर ने वर्ष 2014 से कृषि क्षेत्र के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि सरकार ने उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने का फैसला किया है, इससे खरीद दोगुनी हो गई है.
केंद्र ने फैसला लेने में देरी की : मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को देर से रद्द करने की घोषणा की है. यह फैसला बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था. इसके लिए सभी किसानों को हार्दिक बधाई. यदि केंद्र सरकार यह फैसला काफी पहले ले लेती तो देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता.
मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी(BSP) की केंद्र सरकार से मांग है कि किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हुई है, केंद्र सरकार उन्हें उचित आर्थिक मदद दे और उनके परिवार में से एक सदस्य को सरकारी नौकरी जरूर दें.
भूपेंद्र हुड्डा ने पीएम का आभार जताया
कृषि क़ानूनों के रद्द होने पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि देर से ही सही पर दुरस्त आए हैं. प्रधानमंत्री का आभार है और किसानों को बधाई है. यह किसानों के संघर्ष के कारण हुआ है. बाकी बातें भी हैं, बैठकर उसका भी समाधान निकालना चाहिए.
अखिलेश यादव ने सरकार की मंशा पर उठाया सवाल
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार चुनाव से डर गई और वोट के लिए कृषि कानूनों वापस ले ली. हो सकता है कि सरकार चुनाव के बाद फिर से ऐसा कोई कानून लेकर आए. यह भरोसा कौन दिलाएगा कि भविष्य में ऐसे कानून नहीं आएंगे जिससे किसान संकट में आए?
चुनावों को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया : ओवैसी