नई दिल्ली:केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही पीएफआई के 9 सहयोगी संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. बता दें, हाल के कुछ दिनों में NIA और कई राज्यों की पुलिस और एजेंसियों ने पीएफआई (Popular Front of India) के ठिकानों पर छापेमारी कर सैकड़ों गिरफ्तारियां की थीं. भाजपा के नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने पीएफआई व उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगाए जाने के केंद्र सरकार के निर्णय की सराहना की है. भाजपा नेताओं ने दावा किया कि इस कार्रवाई के जरिए केंद्र सरकार ने उचित समय पर ठोस कदम उठाया है. उन्होंने कांग्रेस पर इस संगठन को संरक्षण देन का आरोप भी लगाया.
विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने एक ट्वीट में कहा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं. पीएफआई पर प्रतिबंध इस तथ्य को दोहराता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उन ताकतों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करती है, जिनका उद्देश्य देश में शांति व स्थिरता को बाधित करना होता है.' उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘पूरा देश इस निर्णय का स्वागत करता है. केरल में पीएफआई की सक्रियता और उसकी गतिविधियों के खिलाफ मुरलीधरन आवाज उठाते रहे हैं.
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने पीएफआई पर प्रतिबंध का स्वागत करते हुए कहा, 'यह नया भारत है. अब नरेंद्र मोदी की सरकार है. जो देश के खिलाफ काम करेगा उसका फ़न कुचला जाएगा.' उन्होंने कहा कि देश विरोधी काम करने वाले संगठनों को अब सुधर जाना चाहिए. उन्होंने एक बयान में कहा, देश में आतंकी और राष्ट्र की एकता व अखंडता तथा सुरक्षा के लिए खतरा बने संगठन एवं व्यक्ति स्वीकार्य नहीं हैं. उन पर इसी तरह का सर्जिकल स्ट्राइक जारी रहेगा.
भाजपा महासचिव सीटी रवि ने इस कदम के लिए अमित शाह को धन्यवाद देते हुए कहा कि पीएफआई को कांग्रेस ने पोषित किया. उन्होंने कहा कि पीएफआई और कुछ नहीं बल्कि सिमी का 'एक अवतार' है और इसके कई आतंकवादी संगठनों से संबंध हैं ताकि देश में सामाजिक अशांति फैले.
'पीएफआई पर प्रतिबंध देशहित में की गई कार्रवाई'
वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रतिबंध लगाए जाने को देशहित में की गई कार्रवाई करार देते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दल ऐसे हैं जो इस कार्रवाई को लेकर भी सियासी नफा-नुकसान का गुणा-भाग कर रहे हैं. उन्होंने एक बयान में कहा, लोकतंत्र के खिलाफ हिंसक साजिश के तहत गतिविधियां चला रहे कुछ संगठनों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई है. देश की सुरक्षा हमारी ताकत है... यह कार्रवाई देश की सुरक्षा और देशहित में है. नकवी ने कहा, अफसोस की बात है कि पहले कुछ राजनीतिक दल ऐसे लोगों को प्रश्रय दे रहे थे. ऐसे ही लोग अब भी उनके साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. यही लोग कभी सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल करेंगे. जब इस तरह के संगठनों (पीएफआई) पर कार्रवाई होती है तो ये लोग इनके साथ खड़े होते हैं.
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इस कदम की तुलना जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने से की और कहा, 'यह केंद्र सरकार द्वारा उचित समय पर लिया गया मजबूत निर्णय है. आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की मोदी सरकार की नीति को यह दर्शाता है.' उन्होंने भी कांग्रेस पर पीएफआई को संरक्षण देने का आरोप लगाया और दावा किया कि राजस्थान में उसके शासन काल में पीफएआई को बढ़ावा दिया गया जबकि कर्नाटक में उसके राज में पीएफआई से संबंधित मामले वापस लिए गए.
असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया
वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्होंने हालांकि हमेशा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के दृष्टिकोण का विरोध किया है, लेकिन कट्टरपंथी संगठन पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता. ओवैसी ने कई ट्वीट में कहा, मैंने हमेशा पीएफआई के दृष्टिकोण का विरोध किया है और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का समर्थन किया है, लेकिन पीएफआई पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, 'इस तरह का प्रतिबंध खतरनाक है क्योंकि यह किसी भी उस मुसलमान पर प्रतिबंध है जो अपने मन की बात कहना चाहता है. जिस तरह से भारत की 'चुनावी निरंकुशता' फासीवाद के करीब पहुंच रही है, भारत के ‘काले’ कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई पर्चे के साथ गिरफ्तार किया जाएगा.'
पीएफआई पर प्रतिबंध के पक्ष में नहीं सीपीआईएम
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) ने कहा कि वह पीएफआई के अतिवादी विचारों का विरोध करती है, लेकिन सरकार जिस तरह प्रतिबंध लगाकर मामले से निपट रही है उसका वह समर्थन नहीं करती. वामपंथी दल ने एक बयान में यह आरोप भी लगाया कि केरल और तटीय कर्नाटक क्षेत्र में हत्याओं और बदले लेने के लिए की जाने वाली हत्याओं के मामलों में पीएफआई और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संलिप्त हैं तथा ये सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए माहौल को खराब कर रहे हैं.
उसने कहा, 'बहरहाल, यूएपीए कानून के तहत पीएफआई को अवैध संगठन करार दिए जाने वाली अधिसूचना जारी करना वो तरीका नहीं है जिससे इस समस्या से निपटा जाए. अतीत के अनुभव बताते हैं कि आरएसएस और माओवादियों को प्रतिबंधित करने का कदम प्रभावी नहीं रहा.' माकपा का कहना है कि पीएफआई जब कभी किसी गैरकानूनी या हिंसा गतिविधि में शामिल हो तो उसके खिलाफ वर्तमान मानूनों के तहत कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई होनी चाहिए.
विहिप ने किया प्रतिबंध का स्वागत
विश्व हिन्दू परिषद ने भी पीएफआई पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले का स्वागत किया है. हालांकि विहिप के शीर्ष नेतृत्व ने अब तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन दिल्ली प्रांत की तरफ से एक बयान जारी कर केंद्र के निर्णय का स्वागत जरूर किया गया है. विहिप दिल्ली प्रांत की ओर से सह प्रचार प्रमुख सुमीत अलग के द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI ) भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त कई जिहादी संगठनों को आर्थिक सहायता प्रदान करता है. छानबीन करने पर ऐसा पाया गया कि पीएफआई कई वर्षों से भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त आतंकी संगठनों को भारत में आतंक फैलाने एवं अन्य गतिविधियों को चलाने के लिए उन संगठनों को आर्थिक सहायता मुहैया कराता था.
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने बताया अच्छा कदम उठाया: बरेली के ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी ने कहा कि सरकार ने कट्टरपंथी संगठन PFI पर प्रतिबंध लगाकर अच्छा कदम उठाया है. भारत की सरजमीं कट्टरपंथी विचारधारा की सरजमीं नहीं है और न यहां ऐसी कट्टरपंथी विचारधारा पनप सकती जिससे मुल्क की एकता-अखंडता को खतरा हो.