मुंबई: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने भरोसा जताया है कि कोष की लागत बढ़ने से सरकार के नियोजित बुनियादी ढांचा निवेश पर असर नहीं पड़ेगा. भारतीय रिजर्व बैंक ने गत चार मई को प्रमुख रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए इसे 4.40 प्रतिशत कर दिया.
इसके अलावा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को भी 0.50 फीसदी बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत किया गया है. रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में वृद्धि के लिए यूक्रेन युद्ध के बाद मुद्रास्फीति के बढ़े हुए दबाव और कच्चे तेल की कीमतों में हुई वृद्धि का हवाला दिया है. सीतारमण ने शनिवार शाम को यहां एक कार्यक्रम में दरों में वृद्धि के फैसले पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक की दर वृद्धि का समय एक आश्चर्य की तरह था, न कि दर वृ्द्धि. लोग सोच रहे थे कि यह काम किसी भी तरह किया जाना चाहिए था.
आश्चर्य इसलिए हुआ कि यह फैसला मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो बैठकों के बीच में हुआ. उन्होंने कहा कि अप्रैल की शुरुआत में हुई पिछली एमपीसी बैठक में रिजर्व बैंक ने संकेत दिया था कि यह उनके लिए भी कदम उठाने का समय है. यह वृद्धि दुनियाभर के प्रमुख केंद्रीय बैंकों की तरफ से की जा रही दर वृद्धि का ही एक हिस्सा है. वित्त मंत्री ने कहा कि एक तरह से यह तालमेल में उठाया गया कदम था. ऑस्ट्रेलिया ने ऐसा किया और अमेरिका ने भी उसी दिन दरों में वृद्धि की.