नई दिल्ली :भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को आठ फर्मों को नई तकनीकों का परीक्षण करने की मंजूरी दी है. ये कंपनियां अगले सप्ताह अपने कम लागत, सुरक्षित और सुविधाजनक और पारदर्शी प्रेषण भुगतान और विदेशी निवेश समाधानों का परीक्षण शुरू करेंगी. इसकी वजह से फिनटेक फर्मों को नए ऑनलाइन सीमा पार भुगतान समाधान विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने के अलावा विदेशी भारतीयों को आसानी से देश में पैसा भेजने में मदद करेगा. इसके अलावा यह भारतीयों को विदेशों में निवेश करने की अनुमति देगा.
आरबीआई ने जिन कंपनियों को अनुमति प्रदान की है उनमें बुक माई फॉरेक्स प्राइवेट लिमिटेड, कैशफ्री पेमेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, फेयरेक्स सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, फ्लाईरेमिट प्राइवेट लिमिटेड, नियरबी टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, ओपन फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, शोकैश इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और वॉल स्ट्रीट फाइनेंस लिमिटेडशामिल हैं.
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में रिजर्व बैंक ने अभिनव सीमा पार भुगतान तंत्र पर विकास के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे और बैंक को 26 संस्थाओं से 27 आवेदन प्राप्त हुए थे और आवेदनों की जांच के बाद, आरबीआई ने उनमें से 8 को अपने उत्पादों का परीक्षण शुरू करने के लिए मंजूरी दे दी थी.
भारत विदेशी प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता
15 फीसदी हिस्सेदारी के साथ, भारत विदेशी प्रेषण के लिए दुनिया का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है क्योंकि सफल और धनी भारतीय देश में रहने वाले अपने रिश्तेदारों और आश्रितों को पैसा भेजते हैं. 2019 में, देश को 83 बिलियन डॉलर का विदेशी प्रेषण प्राप्त हुआ, जबकि 2020 के पहले छह महीनों में, भारत को 27.4 बिलियन डॉलर का विदेशी प्रेषण प्राप्त हुआ. विदेशी प्रेषण के अलावा, देश में काउंटर पर विदेशी मुद्रा लिखतों का दैनिक औसत कारोबार लगभग $40 बिलियन है.
हालांकि, घरेलू लेनदेन के लिए देश में उपयोग किए जाने वाले यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के विपरीत एक सुविधाजनक ऑनलाइन भुगतान तंत्र नहीं है, जो कि किसी भी दो यूपीआई उपयोगकर्ताओं को वास्तविक समय और सुविधाजनक तरीके से धन हस्तांतरित करने की अनुमति देता है.
हालांकि, घरेलू लेनदेन के लिए देश में उपयोग किए जाने वाले यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के विपरीत एक सुविधाजनक ऑनलाइन भुगतान तंत्र नहीं है, जो कि किसी भी दो यूपीआई उपयोगकर्ताओं को वास्तविक समय और सुविधाजनक तरीके से धन हस्तांतरित करने की अनुमति देता है.
आठ कंपनियां करेंगी परीक्षण
बुक माई फॉरेक्स प्राइवेट लिमिटेड अपने उत्पाद का परीक्षण करेगा जो डिजिटल केवाईसी और एएमएल सत्यापन सहित प्रक्रिया के डिजिटलीकरण के माध्यम से वीज़ा डायरेक्ट और मास्टर कार्ड सेंड का उपयोग करके विदेशों में बैंक खातों, डेबिट और प्रीपेड कार्डों के लिए पूरी तरह से ऑनलाइन बाहरी सीमा पार प्रेषण की सुविधा प्रदान करता है. वहीं कैशफ्री पेमेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध शेयरों, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड जैसे ईटीएफ और म्यूचुअल फंड की इकाइयों, भारतीय निवेशकों द्वारा प्रतिभूतियों के माध्यम से डेली स्टॉक मार्केट जैसी विदेशी एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध संपत्तियों की खरीद की सुविधा के लिए एक सीमा पार स्थानीय भुगतान के तरीके का परीक्षण करेगा. जबकि फेयरेक्स सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड बाहरी प्रेषण के लिए अग्रणी सीमा-पार भुगतान प्रदाताओं के एकत्रीकरण का परीक्षण करेगा.
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इसी प्रकार फ्लाईरेमिट प्राइवेट लिमिटेड व्यक्तियों के साथ-साथ व्यवसायों के लिए एक ऑनलाइन परीक्षण करेगा और डिजिटल केवाईसी सत्यापन सहित प्रेषण प्रक्रिया के डिजिटलीकरण की सुविधा प्रदान करेगा. वहीं नियरबी टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड का 'पायनियरबाई' मौजूदा आरडीए तंत्र का उपयोग करते हुए एक बैंक खाते के रूप में लाभार्थी के आधार संख्या के लिए सीमा पार से प्रेषण को रूट करने की सुविधा प्रदान करता है.
RBI की नियामकीय 'सैंडबॉक्स' योजना के तहत छह इकाइयों ने 'पहले समूह' का परीक्षण पूरा किया
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि नियामकीय 'सैंडबॉक्स' योजना के तहत छह इकाइयों ने 'पहले समूह' का परीक्षण चरण पूरा कर लिया है. इसका विषय खुदरा भुगतान है. उनके उत्पादों को नियामकीय इकाइयों द्वारा स्वीकार्यता के लिए व्यावहारिक माना गया है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि इन इकाइयों के उत्पाद मुख्य रूप से ऑफलाइन डिजिटल भुगतान, प्रीपेड कार्ड, संपर्करहित भुगतान और वॉयस आधारित यूपीआई से संबंधित हैं. नियामकीय सैंडबॉक्स से सामान्य तौर पर तात्पर्य नियंत्रित/परीक्षण वाले नियामकीय माहौल में नए उत्पादों और सेवाओं के सीधे परीक्षण से होता है. इसमें नियामक कुछ रियायतों की अनुमति भी दे सकता है.
पहले समूह में जिन इकाइयों के उत्पाद रिजर्व बैंक द्वारा तय निमयों के अनुकूल पाए गए हैं उनमें न्यूक्लियस सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट्स (पेसे), टैप स्मार्ट डेटा इन्फॉर्मेशन सर्विसेज (सिटीकैश), नैचुरल सपोर्ट कंसल्टेंसी सर्विसेज (आईएनडी-ई-कैश), नफा इनोवेशंस (टोन टैग), उबोना टेक्नोलॉजीज (भीम वॉयस) और ईरूट टेक्नोलॉजीज (सिम के जरिये ऑफलाइन भुगतान) शामिल हैं.
रिजर्व बैंक ने कहा कि इन उत्पादों का आकलन परस्पर सहमति वाले परीक्षण परिदृश्य तथा संभावित नतीजों के आधार पर किया गया. केंद्रीय बैंक ने कहा कि ये इकाइयां अब खुदरा भुगतान पर नियामकीय सैंडबॉक्स के पहले समूह से बाहर निकल गई हैं.