इंदौर : कोरोना लॉकडाउन के दौरान मध्य प्रदेश में करीब 51 हजार गरीबों का निवाला डकारने वाले घोटालेबाजों पर कानून का फंदा कसता जा रहा है. इंदौर में सरकारी राशन की 12 दुकानों में करीब 80 लाख के घोटाले का पता चला है. जानकार मानते हैं कि अगर प्रदेश की सभी राशन की दुकानों को खंगाला जाए तो घोटाला 100 करोड़ रुपये के पार भी जा सकता है.
राशन माफिया ने गरीब को मिलने वाला अनाज मुनाफाखोरों को चोरी छिपे बेच दिया. घोटाले का तानाबाना जिस तरह से बुना गया है, वो किसी संगठित अपराध कथा से कम नहीं है. जिसके कुछ खलनायक कानून की गिरफ्त में हैं. लेकिन माफिया की पूरी चेन पर कानून का हथौड़ा पड़ना अभी बाकी है. राशन घोटाले की इस रस्सी का एक सिरा हैदराबाद तक भी जाता है.
हैदराबाद में बिका इंदौर के गरीब का निवाला
लॉकडाउन में गरीबों के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने सस्ती दर पर राशन जारी किया था. ये राशन इंदौर में बांटा जाना था, लेकिन आपदा को राशन माफिया ने अपने फायदे के लिए अवसर में बदल दिया. प्लानिंग बनी गरीब का निवाला छीनकर मुनाफाखोरों की जेब गर्म करने की. बिना अफसरों की मिलीभगत के ये होना मुमकिन नहीं था.
घोटाले पर सियासी बयानबाजी तेज
राशन घोटाले पर सियासत भी जोरों से हो रही है. पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने इस घोटाले का ठीकरा भाजपा सरकार पर फोड़ दिया.
वहीं, सरकार का कहना है कि घोटालेबाजों का बख्शा नहीं जाएगा. राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि शिवराज सरकार में किसी माफिया को बख्शा नहीं जाएगाा, इसलिए इन लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत एक्शन लिया जा रहा है.
कैसे पनपी भ्रष्टाचार की बेल ?
सरकार राशन की दुकान तक गरीबों के लिए अनाज भेजती. लेकिन उपभोक्ता को तय मात्रा से कम अनाज दिया जाता. बाकी अनाज को किसी दूसरे गोदाम में शिफ्ट कर दिया जाता. उपभोक्ता के नाम पर फर्जी एंट्री लिख दी जाती. इस तरह जब गोदाम में बड़ी मात्रा में अनाज इकट्ठा हो जाता तो उसका फर्जी बिल तैयार किया जाता. यहां पर भी किसी भ्रष्ट अफसर का ईमान बिकने को तैयार होता था.
अब चुनौती थी कि कृषि उपज मंडी से अनाज को बाहर ले जाने की. वहां फर्जी बिलों के आधार पर मंडी शुल्क चुकाया जाता. साथ ही दूसरी जगहों के व्यापारियों को माल बेचने की फर्जी रसीद भी दिखाई जाती. अब बारी थी माल को खपाने की. इसके लिए देश में दूसरी जगहों पर ऐसे व्यापारियों की तलाश की जाती, जो चोरी का माल खरीद लें. गरीबों के निवाले को ये दो नंबरी लोग हैदराबाद के व्यापारियों को बेच देते.