इंदौर : जिला प्रशासन ने 80 लाख रुपए से अधिक का राशन घोटाला उजागर किया है, 12 सरकारी राशन दुकानों के जरिए करीब 51000 गरीब परिवारों के निवाले पर डाका डाला गया है. राशन माफियाओं ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत मिलने वाले खाद्यान्न में भी हेराफेरी की थी, जिसके तहत 12 जनवरी को शहर में दर्जन भर से अधिक दुकानों पर कार्रवाई की गई.
लॉकडाउन के दौरान सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले अनाज की कालाबाजारी की गई. साथ ही पैकेट वाले अनाज को निजी दुकानों पर बेचने का मामला भी सामने आया था. इस पूरी कार्रवाई में प्रशासन ने तीन लोगों पर रासुका (एनएसए) और 31 लोगों पर विभिन्न थानों में प्रकरण दर्ज कराया है.
80 लाख से अधिक का राशन घोटाला
इस पूरे मामले में 51 हजार 96 हितग्राहियों के अनाज की कालाबाजारी की गई. मामले में तीन प्रमुख आरोपियों भरत दवे, श्याम दवे और प्रमोद दहीगुड़े के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की जा रही है.
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि आरोपी भरत दवे और प्रमोद दहीगुड़े के सहयोग से उनके परिजन और परिचितों द्वारा दुकानें संचालित की जा रही थी. इस संबंध में मिली शिकायतों की जांच के बाद 12 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को चिन्हित कर जांच कराई गई. जांच के दौरान उक्त दुकानों के संचालन में आरोपी भरत दवे की संलिप्तता राशन माफिया के रूप में पाई गई.
आरोपी भरत दवे द्वारा दुकान संघ का अध्यक्ष होने के कारण राशन की चोरी कर उसे अधिक दर पर बाजार में बेचकर धन कमाता था. कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों ने बताया कि छात्र प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी समिति का उपाध्यक्ष श्याम दवे भी राशन घोटाले के कार्य में भरत दवे का सहयोगी था. इसी तरह तीसरा आरोपी प्रमोद दहीगुड़े तीन दुकानों का संचालन करता था. उसके द्वारा भी राशन की हेराफेरी कर आर्थिक लाभ कमाया जा रहा था.
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प्रभारी फूड कंट्रोलर भी थे राशन माफियाओं के साथ संलिप्त
प्रभारी फूड कंट्रोलर आरसी मीणा की भूमिका इन राशन माफियाओं के साथ संलिप्त पाई गई थी. राशन गरीबों को उनके हक के अनुसार सही वितरण हों, इस संबंध में आरसी मीणा की जिम्मेदारी थी, लेकिन कई बार आपूर्ति अधिकारियों द्वारा जांच करने पर आरसी मीणा उन्हें रोक दिया करते थे. खाद्य निरीक्षकों का भविष्य खराब करने की धमकी भी देते थे. हालांकि, अब प्रभारी फूड कंट्रोलर को निलंबित किया जा चुका है.