पटना: बिहार की राजधानी पटना एम्स में गुरुवार को दुर्लभ ब्लड ग्रुप 'बॉम्बे ब्लड ग्रुप' वाली एक किशोरी एडमिट हुई है, जिसे रक्त की जरूरत पड़ गई. यह दुर्लभ ब्लड ग्रुप बिहार में उपलब्ध नहीं था, इस कारण इसे मुंबई से मंगाया गया. शुक्रवार देर शाम 7:00 बजे मुंबई से फ्लाइट के माध्यम दो यूनिट ब्लड पटना पहुंचा. जिसके बाद इसे पटना एम्स ले जाया गया और अब बच्ची को यह ब्लड चढ़ाया गया.
ये भी पढ़ें- Bihar News: ब्लड बैंक पहुंचे पति-पत्नी-'खून के बदले चाहिए पैसे', सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई
मुंबई से पटना पहुंचा रेयरेस्ट बॉम्बे ब्लड ग्रुप : दरअसल, 14 वर्षीय लड़की जो कि रोहतास से पटना एम्स में डेंगू के चलते भर्ती हुई थी उसका हीमोग्लोबिन स्तर 3 ग्राम रह गया था. मुंबई के लाइफ ब्लड काउंसिल के सहयोग से सायन ब्लड सेंटर, मुंबई और काई वामनराव ओक ब्लड सेंटर, ठाने निया ब्लड के द्वारा बिहार के मां ब्लड सेंटर को उपलब्ध कराई गई. इसके बाद मां ब्लड सेंटर की ओर से पटना एम्स में पीड़ित बच्ची के परिजनों को दो यूनिट ब्लड उपलब्ध कराया गया.
क्या है बॉम्बे ग्रुप?: मां ब्लड सेंटर के संस्थापक मुकेश हिसारिया ने बताया कि आमतौर पर इंसानों में A+, B+, AB+, 0+ या A-, B-, AB-, 0- जैसे ब्लड ग्रुप पाए जाते हैं. लेकिन एक ऐसा ब्लड ग्रुप भी है जिसके बारे में शायद ही किसी को पता हो जिसका नाम है बॉम्बे ब्लड ग्रुप. दुनिया भर में यह बेहद दुर्लभ ब्लड ग्रुप है, जिसकी वजह से इस ग्रुप का डोनर मिलना भी मुश्किल होता है. 130 करोड़ की आबादी में पूरे देश में मात्र 400 डोनर ही मौजूद हैं और बिहार में एक भी डोनर नहीं है. यह ब्लड ग्रुप बहुत कम लोगों के शरीर में पाया जाता है जिसके कारण इसे गोल्डन ब्लड कहा जाता है.
''इसका वैज्ञानिक नाम आर.एच. नल ब्लड ग्रुप (Rh Null Blood Group) है. कहा जाता है कि इस ब्लड ग्रुप को किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता है, क्योंकि किसी भी ब्लड ग्रुप के साथ यह आसानी से मैच हो जाता है. यह ब्लड ग्रुप सिर्फ उस व्यक्ति के शरीर में मिलता है जिसका Rh फैक्टर Null (Rh-null) होता है.''- मुकेश हिसारिया, संस्थापक, मां ब्लड सेंटर
कागजी कार्रवाई पूरी कर मिला निशुल्क ब्लड: मुकेश हिसारिया ने बताया कि पटना एम्स में बॉम्बे ब्लड ग्रुप से जुड़ा एक मामला संज्ञान में आया, एम्स की ओर से मां ब्लड बैंक में जाकर रक्त का प्रबंध कराने की परिजनों को पत्र दिया गया. जिसके बाद पीड़ित बच्ची के परिजन उनके पास पहुंचे लेकिन पटना में यह ब्लड नहीं था जिसके बाद उन्होंने विभिन्न राज्यों के ब्लड बैंकों से संपर्क किया. इसी प्रयास के क्रम में उन्होंने मुंबई के लाईफ ब्लड काउंसिल के विनय शेट्टी से संपर्क स्थापित किया. विनय शेट्टी के अद्भुत सेवा भावना के फलस्वरूप सायन ब्लड सेंटर, मुंबई और काई वामनराव ओक ब्लड बैंक, ठाणे के सौजन्य से बॉम्बे ब्लड ग्रुप का दुर्लभ ब्लड का आपूर्ति संभव हो पाया.
डेंगू पीड़ित बच्ची को चढ़ रहा रेयर ब्लड : मां ब्लड सेंटर द्वारा औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत सभी कागजी प्रक्रिया पूरी कर मुंबई से बॉम्बे ब्लड ग्रुप का यूनिट प्राप्त किया. फिर, पटना एम्स को इसे निःशुल्क मुहैया कराया गया. मुकेश ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मानव सेवा से जुड़े सभी कर्मयोगियों और मां ब्लड सेंटर द्वारा किये गए सराहनीय प्रयास से अब डेंगू पीड़ित बच्ची का इलाज जल्द से जल्द किया जा सकेगा.