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Asian Palm Civet : यहां छिपकर बैठा था दुर्लभ कस्तूरी बिलाव, देखकर सोच में पड़ गए लोग

बिहार के बगहा में कस्तूरी बिलाव मिला है. आम तौर पर यह दक्षिण एशिया और अन्य महाद्वीप में पाया जाता है. इसे एशियन पाम सिवेट (Asian palm civet In Bagaha) भी कहा जाता है. इस बिल्ली को देखने के बाद लोग हैरत में पड़ गए और वन विभाग को इसकी सूचना दी गई. पढ़ें पूरी खबर...

बगहा में कस्तूरी बिलाव
बगहा में कस्तूरी बिलाव

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 29, 2023, 9:41 AM IST

Updated : Sep 29, 2023, 5:46 PM IST

बगहा में कस्तूरी बिलाव

बगहाःइंडो-नेपाल सीमा पर स्थित बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के रिहायशी इलाके में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब वाल्मिकीनगर के वर्मा कॉलोनी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में दुर्लभ प्रजाति का जानवर पहुंच गया. बिल्ली की तरह दिखने वाले इस जानवर को एशियन पाम सिवेट कहा जाता है, जिसके दुम में कस्तूरी पाया जाता है. कस्तूरी का उपयोग इत्र बनाने में किया जाता है.

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कस्तूरी बिलाव मिलने से लोग हैरानः आंगनबाड़ी केंद्र में दुर्लभ प्रजाति के फिशिंग कैट देखकर लोग भयभीत हो गए. दरअसल, बिल्ली की तरह दिखने वाला एशियन पॉम सिवेट, जिसे कबर बिज्जू, कस्तूरी बिलाव, गंध बिलाव, गंध मार्जर और कमर बिज्जी इत्यादि नामों से जानते हैं. यह बहुत कम दिखने व मिलने वाला जंतु है, जो लोगों को किसी भी तरह का खतरा नहीं पहुंचाता है.

आंगनबाड़ी केंद्र में छिपकर बैठा था कस्तूरी बिलाव

इसके मल से बनती है महंगी कॉफीःफिशिंग कैट को देखने के बाद लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी. वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर कैट का रेस्क्यू किया. बता दें कि कस्तूरी बिलाव के मल से कॉफी तैयार (World Most Expensive Coffee) की जाती है. एक कप कॉफी की कीमत 6 हजार रुपए के करीब होती है. साथ ही इसके मांस के छोटे-छोटे टुकड़ों से निकाला गया तेल खुजली के इलाज के रूप में किया जाता है. इसके तेल को अलसी के तेल में बंद मिट्टी के बर्तन में रखा जाता है और नियमित रूप से धूप में रखा जाता है.

काफी स्वादिष्ट होती है कॉफीः बिल्ली की तरह दिखने वाले इस दुर्लभ प्रजाति के जानवर की आंतों से गुजरने के बाद कॉफी बिन्स का स्वाद ज्यादा बढ़ जाता है. इस कॉफी को कॉफी लुवाक (Civet Coffee Kopi Luwak) के नाम से जाना जाता है. एशियन पाम सिवेट का लंबा व गठीला शरीर उसके मोटे और झबराले बालों से ढंका होता है. आमतौर पर यह भूरे रंग का होता है, जिसके माथे पर सफेद मुखौटा नुमा ढांचा होता है.

इसके गुदा से कस्तूरी का गंध आता हैः दक्षिण एशिया और अफ्रीका में पाए जाने वाला कस्तूरी बिलाव 53 सेंटीमीटर लंबा और लंबी पूंछ वाला होता है. इसका वजन 2 से 5 किलोमीटर तक होता है. इसके पूंछ के निचे गुदा ग्रंथ होता है, जिससे कस्तूरी गंध निकलता है. इस गुदा ग्रंथ से निकला रासायनिक द्रव्य किसी धमक या परेशानियों से इन्हें बचाता है. यह जीव आसानी से वृक्षों पर चढ़ जाता है और आमतौर पर रात में बाहर निकलता है.

बिहार के बगहा में मिला कस्तूरी बिलाव

गुदा के रासायनिक पदार्थ से इत्र बनता हैःमाना जाता है कि पहले कस्तूरी बिलाव को मारकर उनकी ग्रंथि निकाल लिया जाता था. जिसका प्रयोग इत्र बनाने के लिए किया जाता था. आधुनिक युग में जीवित पशु से ही बिना ग्रंथि निकले ही इसके गंध के रसायन इकट्ठे किये जाते हैं. वन संरक्षक सह उप वन निदेशक नेशामणि के ने बताया कि यह मांसाहारी जानवर होता है, लेकिन मानव को किसी तरीके का नुकसान नहीं पहुंचाता है.

वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू किया

"लोगों के द्वारा सूचना मिली थी कि एक दुर्लभ प्रजाति का बिलाव मिला है. सूचना पर पहुंची टीम ने बिलाव का रेस्क्यू कर लिया है. यह आम लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. बिलाव को जब्त कर आगे की कार्रवाई की जा रही है."- नेशामणि के, वन संरक्षक

Last Updated : Sep 29, 2023, 5:46 PM IST

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