जांजगीर चांपा:जांजगीर चांपा के बिर्रा गांव में एक दुर्लभ प्रजाति की मछली पाई गई है. बिर्रा का रहने वाला कुणाल, मछली पकड़ने गए थे. उसे चार आंख वाली एक दुर्लभ मछली मिली. इस मछली को देखने के लिए दूर दराज के लोग आ रहे हैं. कुणाल ने मछली को एक टब में रखा है. लोग इस दुर्लभ मछली को देखने पहुंच रहे हैं.
चार आंखों वाली दुर्लभ मछली:दरअसल, इस मछली की आंखें सिर से ऊपर है. इसके पंख एरोप्लेन आकार के हैं. देखने में यह मछली काफी सुंदर लग रही है. कुणाल को जैसे ही ये मछली मिली, उसे घर ले आया. इस मछली को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटने लगी.
अमेरिका में पाई जाती है ये मछली:मत्स्य विभाग के सहायक संचालक एसएस. कंवर ने कहा कि "वैसे तो इसका नाम सकर माउथ कैट फिश है. साइंटिफिक नेम हाईपोस्ट टोमस प्लेसोस टोमस है. ये अमेज़न स्मेल एक्जॉटिक कैट फिश के नाम प्रचलित है. ये पानी की तलहटी में रहती है. ये मछली अमेरिका के अमेजन नदी में पाई जाती है. यह खतरनाक नहीं है, लेकिन इस मछली का तालाब या नदी में मिलना अच्छा नहीं है."
अंतराष्ट्रीय बाजार में है डिमांड: जंतु विज्ञान के सहायक प्राध्यापक प्रो. अश्वनी केशरवानी ने कहा कि "इंटरनेशनल बाजार में ये मछली अधिक कीमत पर बिकती है. यह तेजी से बढ़ने वाली मछली है. इसका आकार बड़ा होने के कारण मछली पालकों को आर्थिक फायदा होता है. लेकिन, भारत में इन मछलियों का मिलना ठीक नहीं हैं. इनका असली घर भारत की नदियां नहीं हैं."
यह मछली भारत के जलीय विविधता के लिए क्यों है खतरनाक: जानकारों के मुताबिक यह मछली भारत के जलीय विविधता के लिए खतरनाक है. इस मसले पर प्रोफेसर अश्विनी केशरवानी ने बताया कि" ये मछली बहुत जल्दी आकार में बढ़ती है. जिसके कारण तालाब और नदी में पाए जाने वाले दूसरे जीव जंतुओं को ये अपना आहार बना लेती है. जिसके कारण अन्य जीवों का ग्रोथ नहीं हो पाता है. इस मछली की वजह से भारत में आए जाने वाले मछली विलुप्तता की कगार पर पहुंच सकती है. जिसके कारण इस मछली को भारत के तालाबों और नदियों में पालने से परहेज किया जाता है"
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इससे पहले अमेज़न स्मेल एक्जॉटिक कैट फिश नाम की यह मछली गरियाबंद में मिली थी. उस वक्त भी लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बन गई थी. इस बार यह मछली जांजगीर चांपा में मिली है. जानकार इसे भारत के जलीय विविधता के लिए सही नहीं मानते हैं. ऐसे में मत्स्य विभाग को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.