दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

यूपी की इस युवती में मिली दुर्लभ बीमारी, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर

लखनऊ में रहने वाले हिमेटोलॉजिस्ट डॉ. भूपेंद्र ने भारत में दुर्लभ बीमारी की खोज की है. राबर्टसोनियन ट्रांसलोकेशन नाम की इस बीमारी का पहला मरीज 1984 में अमेरिका में मिला था, वहीं अब दुनिया का दूसरा मरीज यूपी के हरदोई जिले में पाया गया है.

By

Published : Sep 29, 2021, 5:20 PM IST

lucknow
lucknow

लखनऊ : लखनऊ के एक चिकित्सक ने भारत में दुर्लभ बीमारी की खोज की है. राबर्टसोनियन ट्रांसलोकेशन नाम की इस बीमारी का पहला मरीज 1984 में अमेरिका में मिला था, वहीं अब दुनिया का दूसरा मरीज यूपी के हरदोई जिले में पाया गया है.

मरीज की डायग्नोस हिमेटोलॉजिस्ट डॉ. भूपेंद्र ने की है. साथ ही इलाज भी किया. उनकी यह स्टडी अब जरनल ऑफ क्लीनिकल एंड डायग्नोस्टिक रिसर्च में प्रकाशित हुई है. डॉ. भूपेंद्र के मुताबिक राबर्टसोनियन ट्रांसलोकेशन एक ऐसी समस्‍या है जिसके दुनिया में अब तक दो ही मरीजों की पहचान की जा सकी है.

भारत में मिली दुर्लभ बीमारी

पहले मरीज को वर्ष 1984 में अमेरिका के प्रोफेसर पीटर नावेल ने रिपोर्ट किया था, दूसरे मरीज की पहचान लखनऊ के केजीएमयू में इलाज के दरम्यान हुई है. यह मरीज सीवियर एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित रहा.

ऐसी है यह बीमारी

डॉ. भूपेन्‍द्र सिंह के मुताबिक कोशिकाओं में गुणसूत्र जोड़े में पाए जाते हैं. वहीं कभी-कभार एक गुणसूत्र निषेचन के समय दूसरे गुणसूत्र पर जाकर चिपक जाते हैं. इस प्रक्रिया को राबर्टसोनियन ट्रांसलोकेशन कहते हैं. इसकी वजह से कई बीमारियां हो जाती हैं. बोन मैरो के फेल हो जाने और एप्लास्टिक एनीमिया भी होता है.

17 वर्ष की युवती में बीमारी

डॉ. भूपेन्‍द्र सिंह के मुताबिक गत वर्ष केजीएमयू में एक बच्ची एप्लास्टिक एनिमिया से पीड़ित होकर आई. यह हरदोई निवासी किसान की बेटी थी. जांच में उसका हीमोग्लोबिन, टीएलसी और प्लेटलेट्स तीनों लगातार कम हो रहे थे. जिसके कारण उसका बोन मैरो टेस्‍ट कराया गया. उसमें एप्‍लास्टिक एनीमिया की पुष्टि भी हुई. ऐसे में मरीज को पांच महीने में 12 यूनिट खून चढ़ना पड़ा.

जीनोम व क्रोमोसोम जांच

मरीज में एप्लास्टिक एनिमिया की कारणों की पड़ताल का फैसला किया गया. इसके पीछे जेनेटिक कारण खोजे गए. इसके लिए मरीज की जीनोम और क्रोमोसोम की जांच कराई गई, जिसमें पता चला कि इसकी क्रोमोसोम संख्या 14 का एक भाग पूरा जन्म से ही 13 नम्बर के गुणसूत्र पर जुड़ा था. इसे ही राबर्टसोनियन ट्रांसलोकेशन कहते हैं.

भारत का पहला मामला

डॉ. भूपेन्‍द्र ने बताया कि इसकी वजह से मरीज में कई हारमोनल समस्याएं रिपोर्ट की गयी हैं. एप्लास्टिक एनिमिया का यह दुनिया का दूसरा और भारत का पहला केस है. अब मरीज बिना ब्लड चढ़ाए लगभग 8 हिमोग्लोबिन मेनटेन कर रही है.

यह भी पढ़ें-बेहतर आर्थिक सहयोग से प्रेरित होनी चाहिए भारत और मेक्सिको की साझेदारी : जयशंकर

क्‍या है एप्‍लास्टिक एनीमिया

इसकी वजह से शरीर नई रक्‍त कोशिकाओं का निर्माण बंद कर देता है, ऐसी स्थिति में बोनमैरो में ब्‍लड बनने में दिक्‍कत आती है. साथ ही मरीज में खून की कमी होने लगती है. इससे मरीज में कमजोरी, थकावट जैसी समस्‍याएं होने लगती हैं. यह बीमारी किसी भी उम्र के इंसान को हो सकती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details