रत्नागिरि (महाराष्ट्र) :भारत में पहली बार दुर्लभ अटलांटिक वालरस का दांत महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के एक तटीय गांव से जब्त किया गया है. अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी.
31 अगस्त को गुप्त सूचना के बाद रत्नागिरि और सतारा से वन विभाग की टीमों ने सीआई के साथ मिलकर जाल बिछाया और लूट के तीन आरोपियों को हत्खंबा गांव से रंगेहाथ गिरफ्तार किया. वन्यजीव वार्डन और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) के मानद सदस्य रोहन भाटे ने बताया, 'गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी गोवा और महाराष्ट्र से हैं. हमने लगभग 15-16 इंच लंबा एक अटलांटिक वालरस (ओडोबेनस रोस्मारस) के दांत बरामद किए हैं.'
अटलांटिक वालरस के दांतों की तस्करी, उनके सहयोगियों, खरीदारों आदि के पीछे गिरोह को ट्रैक करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने के लिए वन्यजीव खोजी दल की टीमों का गठन किया गया है. रत्नागिरि रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर प्रियंका लगड ने कहा कि वालरस दांत की यह पहली ऐसी जब्ती है, क्योंकि ये समुद्री जानवर यहां से लगभग 10,000 किलोमीटर दूर उत्तरी गोलार्ध के बर्फीले तटों में ही पाए जाते हैं.
उन्होंने कहा, 'जांच के सामने चुनौती यह है कि यह पता लगाया जाए कि वालरस के दांत महाराष्ट्र तक कैसे पहुंचे, इस खेल के अन्य खिलाड़ी कौन हैं, यह रैकेट कितना बड़ा है और इसके बड़े प्रभाव क्या-क्या हैं.'
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हालांकि, प्रियंका लगड ने परिचालन कारणों से बड़े दांत की सही मात्रा/वजन, उसके बाजार मूल्य और अन्य विवरणों को प्रकट करने और अपराध में शामिल अन्य लोगों को सतर्क करने से बचने से इनकार कर दिया. वहीं भाटे ने कहा कि आरोपी तिकड़ी से पूछताछ के बाद, टीमें अन्य भारतीय राज्यों में जाएंगी और जंगली जीवों या उनके मूल्यवान अंगों की और अधिक बरामदगी की संभावना है. जहां तक अटलांटिक वालरस टस्क के मूल्यांकन की बात है, अधिकांश विशेषज्ञ इसे 'अमूल्य' कहते हैं. वे बताते हैं कि वालरस के दांत हाथी दांत की तुलना से परे हैं और विश्व स्तर पर हाथी दांत तस्करों के पसंदीदा हैं.