नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने 2018 में देहरादून में 11 साल की एक बच्ची से दुष्कर्म एवं उसकी हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए व्यक्ति को सुनाई गई मौत की सजा के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है. उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttarakhand High Court) के जनवरी 2020 के फैसले के खिलाफ दोषी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता की मनोवैज्ञानिक जांच कर इसकी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा दोषी को सुनाई गई मौत की सजा बरकरार रखी थी. न्यायमूर्ति यू.यू. ललित (Justice U U Lalit) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'उत्तराखंड को नोटिस जारी किया जाए, जिसका जवाब चार मई 2022 तक देने को कहा जाए.' दो मार्च को जारी आदेश में पीठ ने कहा, 'अपील के विचाराधीन रहने तक याचिकाकर्ता को सुनाई गई मौत की सजा के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी. संबंधित कारागार को इस संबंध में तत्काल सूचना भेजी जाए.'
पीठ में न्यायमूर्ति एस आर भट (Justices S R Bhat) और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा (Justices P S Narasimha) भी शामिल हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में 'पूर्ण सहायता' के लिए जेल प्रशासन द्वारा याचिकाकर्ता के कैद में रहने के दौरान उसके काम की प्रकृति के बारे में 25 अप्रैल तक एक रिपोर्ट सौंपी जाए. पीठ ने कहा, 'हमें यह भी लगता है कि न्याय का हित इसी में है कि हम याचिकाकर्ता की मनोवैज्ञानिक जांच कराएं.' पीठ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के निदेशक को याचिकाकर्ता की मनोवैज्ञानिक जांच के लिए एक टीम गठित करने और 25 अप्रैल तक इससे संबंधित रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया.