आमलकी एकादशी / रंगभरी एकादशी :आज एकादशी है इस एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है. आमलकी एकादशी, सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य और शोभन योग के दिन छोटे-छोटे उपायों से दुखों से मुक्ति और पुण्य लाभ कमाने का सुअवसर है. आमलकी एकादशी के दिन आंवले के प्रयोग का विशेष महत्व होता है जैसे कि आंवले के जल से स्नान करना, आंवला मिलाकर भगवान श्री देव को जल अर्पित करना, आंवले से ही भगवान श्री विष्णु का पूजन करना. साथ ही अगर आप आंवला सेवन करते हैं, आंवले का दान करते हैं और आंवले के वृक्ष का रोपण करते हैं तो आपके व्रत का कई गुना अधिक फल आपको प्राप्त होता है. आइए जानते हैं कैसे...
आज के दिन सूर्यदेव जल अर्पित करते समय जरूर आंवला डालकर ही जल अर्पित करना चाहिए. सूर्यदेव को जल अर्पित करने के बाद भगवान श्री विष्णु की पूजा आराधना करते हैं तो आंवले का नैवेद्य/भोग अर्पित करें अगर आपके पास हरा आंवला उपलब्ध ना हो तो ऐसे में आप सूखे आंवले/आंवला पाउडर भी अर्पित कर सकते हैं पूजा करने के बाद इस आंवले को आप तो प्रसाद रूप में ग्रहण कर सकते हैं या व्रती लोग पारण के समय खा सकते हैं.
दूसरा नाम रंगभरी एकादशी , भगवान शिव-विष्णु की संयुक्त पूजा
बात करें अगले उपाय के बारे में तो आमलकी एकादशी का दूसरा नाम रंगभरी एकादशी है. Rangbhari Ekadashi के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विधि-विधान से पूजा करने के बाद अगर गुलाल अर्पित करने का विशेष महत्त्व है, ऐसा करने से आपको भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद और पुण्य की प्राप्ति होगी. भगवान शिव को गुलाल अर्पित करते समय प्रार्थना कीजिए कि आपके जीवन में खुशियों के रंग भर जाएं. शास्त्रों के अनुसार आज के दिन जो भी भगवान शिव और भगवान विष्णु की संयुक्त रूप से पूजा आराधना करते हैं उनकी समस्त कामनाएं पूर्ण होती है, सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और यहां तक कि आपकी आत्मा तृप्त हो जाती है.
अपार धन-संपदा की है कामना तो...
अगर आपको अपार धन-संपदा की कामना है, बहुत समय से आर्थिक तंगी से गिरे हुए हैं और चाहते हैं कि आपके घर में मां लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद हो जाए तो आज के दिन भगवान श्री विष्णु और मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा कीजिए और उन्हें आंवले अर्पित कीजिए एक पात्र में हरा आंवला या सूखा आंवला आंवला पाउडर जो भी आपके पास उपलब्ध हो मां लक्ष्मी और विष्णु के सामने अर्पित करते और वहीं बैठ कर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. अपनी इच्छा के अनुसार आप चाहे तो 3 बार 5 बारआपकी इच्छा हो कनकधारा स्तोत्र का पाठ कर लीजिए. और उसके बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर लीजिए और अपनी इच्छा के अनुसार कम से कम 3 बार तो अवश्य ही आपको कनकधारा का पाठ करना है या फिर आप चाहे तो श्री सूक्त का पाठ कर सकते हैं. श्री सूक्त या फिर कनकधारा इन दोनों में से कोई सा भी कर लें. यदि हर रोज आपको आंवले नहीं मिल पाते हैं तो भी कोई समस्या नहीं है सिर्फ दीपक प्रज्वलित कर लीजिए, भगवान विष्णु के सामने उनकी विधि-विधान से पूजा करके आप इस पाठ को कर सकते हैं.