रांची : विकास चंद्र श्रीवास्तव, यह नाम उस शख्सियत का है जिसे झारखंड के लोग, खासकर युवा वर्ग पुलिस वाले गुरुजी के नाम से जानते हैं. झारखंड पुलिस में डीएसपी के पद पर कार्यरत विकास चंद्र श्रीवास्तव वैसे तमाम युवाओं के गुरु हैं, जिनके मन में पढ़ाई लिखाई कर आगे बढ़ने की चाहत है. डीएसपी विकास चंद्र श्रीवास्तव अपनी दोहरी जिम्मेदारी को बेहद सफलतापूर्वक निभा रहे हैं और दोनों में ही वह बेहद सफल हैं.
डीएसपी विकास श्रीवास्तव वर्तमान में रांची के इन्वेस्टिगेशन ट्रेनिंग स्कूल में तैनात हैं. इसके पहले वह रांची सदर और देवघर में एसडीपीओ के पद पर अपनी सेवा दे चुके हैं. देवघर में रहते हुए उन्होंने अंबेडकर पुस्तकालय को शिक्षा का प्रमुख केंद्र बना दिया था, जिसमें हर तबके के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे. चुकी अब उनका तबादला रांची हो चुका है और कोरोना संक्रमण के कारण जो परिस्थितियां उत्पन्न हुई उसे देखते हुए उन्होंने ऑनलाइन क्लास शुरू किया.
यूपीएससी, जेपीएसपी, बैंक सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी विकास चंद्र श्रीवास्तव ऑनलाइन करवाते हैं. जिनमें झारखंड सहित कई राज्यों के छात्र भाग लेते हैं. डीएसपी की पाठशाला के नाम से विकास श्रीवास्तव का यूट्यूब चैनल है, जिस पर 17,000 सब्सक्राइबर हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र उनके यूट्यूब वीडियोज को देखकर पढ़ते हैं.
ऑनलाइन पाठशाला सभी के लिए बिल्कुल फ्री है. डीएसपी की पाठशाला ग्रामीण और दूर-दराज रहने वाले छात्रों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही. वैसे छात्र जो आर्थिक रूप से इतने मजबूत नहीं हैं कि शहरों में रह सकें और कोचिंग की फीस देकर पढ़ सकें. ऐसे में उन्हें ऑनलाइन क्लास से काफी मदद मिल रही है.
11 जुलाई से शुरू हुई थी डीएसपी की पाठशाला
विकास चंद्र श्रीवास्तव के अनुसार, जुलाई महीने से उन्होंने ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवानी शुरू की थी, जिसके बाद लगातार इसमें झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, कश्मीर, मेघालय, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के स्टूडेंट्स जुड़े और परीक्षा की तैयारियों से संबंधित पढ़ाई कर रहे हैं.
विकास श्रीवास्तव बताते हैं कि ऑनलाइन क्लासेज के जरिए वह यूपीएससी और झारखंड सिविल सर्विस, बैंक और एसएससी एग्जाम की तैयारी कराते हैं.
उन्होंने इसके लिए आठ वॉट्सएप ग्रुप भी बनाए हुए हैं. इसके माध्यम से भी यूट्यूब के लिंक शेयर किए जाते हैं, ताकि स्टूडेंट्स उसका फायदा उठा सकें. अगर छात्रों को कोई संदेह होता है तो वे ग्रुप में मैसेज कर देते हैं या फिर उन्हें फोन करते हैं.