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Rampur Tiraha incident : उत्तराखंड सीएम पुष्कर धामी बोले- आरोपियों को सजा दिलाने के लिए जारी रहेगी पैरवी

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 2, 2023, 7:21 PM IST

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी ने मुजफ्फरनगर पहुंचकर रामपुर तिराहा कांड (Rampur Tiraha incident) के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किया. उन्होंने कार्यक्रम को भी संबोधित किया.

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मुजफ्फरनगर : अलग राज्य गठन की मांग को लेकर जिले में साल 1994 में दो अक्टूबर को हंगामा हो गया था. इसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी. महिलाओं से ज्यादती की भी शिकायतें सामने आईं थीं. सोमवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पर पहुंचे. उन्होंने शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किया. उन्होंने शहीदों के सम्मान में होने वाले कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया.

हेलीकॉप्टर से पुलिस लाइन पहुंचे सीएम :उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी सोमवार को रामपुर तिराहा कांड के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे. सीएम हेलीकॉप्टर से पुलिस लाइन में सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर पहुंचे. इसके बाद वह यहां से रामपुर तिराहा स्थल के लिए रवाना हो गए. यहां श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए वह यहां आए हैं. रामपुर तिराहा हत्याकांड के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए कड़ी पैरवी करते रहेंगे.

सीएम पुष्कर धामी शहीदों को किया नमन.

रामपुर तिराहे पर हुई थी बर्बरता :अलग राज्य गठन को लेकर आंदोलन चल रहा था. दो अक्तूबर 1994 को देहरादून से बसों में सवार होकर दिल्ली के लिए निकले आंदोलनकारियों पर रामपुर तिराहे पर बर्बरता की गई थी. आंदोलनकारियों को बेरिकेडिंग कर रामपुर तिराहे पर रोका गया था. यहां हुए बवाल में सात आंदोलनकारियों की जान चली गई थी. यह घटना काफी समय तक देशभर में सुर्खियों में बनी रही. इसी तिराहे पर शहीद स्मारक बनाया गया है. दो अक्टूबर को यहां कार्यक्रम का आयोजन होता है.

सीएम सुबह पहुंचे पुलिस लाइन.

सीबीआई से कराई गई थी जांच :साल 1995 में रामपुर तिराहा कांड की सीबीआई जांच शुरू कराई गई थी. 2003 में मुजफ्फरनगर के तत्कालीन डीएम अनंत कुमार सिंह नामजद किए गए थे. साल 2023 में अदालती प्रक्रिया में तेजी आई और सभी पत्रावलियों पर सुनवाई शुरू हो गई. एक पीड़िता ने भी अदालत पहुंचकर बयान दर्ज कराए थे. मामले में तत्कालीन गृह सचिव डॉ. दीप्ति विलास की भी गवाही हो चुकी है.

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